तकनीकी


रोटी, कपड़ा, मकान और ब्रॉडबैंड


शशि शुक्ला

आज से कुछ वर्ष पूर्व तक रोटी, कपड़ा और मकान, मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता थी। जिसकी ये तीनों आवश्यकताएँ पूरी हो जाएँ उस मनुष्य को सुखी माना जाता था। आज भी ऐसा ही है और आगे भी रहेगा। लेकिन उŸारोŸार होती तकनीकी प्रगति, समय की कमी, सुविधा शीघ्र प्राप्त करने की लालसा तथा शासन द्वारा नागरिकों को उनके घर के आस-पास ही शासकीय सेवाएँ सुलभ कराने की योजनाओं ने इसमें एक नया आयाम जोड़ दिया है। वह है ब्रॉडबैंड।

 

पिछले कुछ वर्षों में संचार व सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है। इनके उपयोग व अनुप्रयोग व्यापक हो गये हैं। सरकार भी शासन को चुस्त-दुरुस्त बनाने, उसे पारदर्शी व आसान बनाने तथा गाँवों तक सीधे शासन को पहुंचाने के लिए संचार व सूचना प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक उपयोग कर रही है। इंटरनेट आधारित नवीन प्रणालियों का सरकार विकास कर रही है। इन प्रणालियों का उपयोग आम नागरिक तभी कर सकेंगे जब कि उनके पास तीव्र गति का इंटरनेट कनेक्शन अर्थात ब्रॉडबैंड उपलब्ध हो।
कई वर्ष पूर्व नॉसकाम के तात्कालीन अध्यक्ष स्व. देवांग मेहता ने एक सेमिनार के दौरान देश में रोटी, कपड़ा, मकान के साथ-साथ बिजली व बैंडविथ की उपलब्धता बढ़ाने की बात सबसे पहले की थी। तब उनकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया था। लेकिन अब सरकार ने इस दिशा में कमर कस ली है। दूर-दराज के क्षेत्रों तक अच्छी बैंडविथ उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार के साथ-साथ निजि कम्पनियाँ भी लगी हुई हैं। भारत सरकार ने एक महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया परियोजना तैयार की है। इसके अंतर्गत देश में एक ई-क्रांति की संकल्पना की गई है। लगभग सभी शासकीय कार्यों को डिजिटल रूप में करने की योजनाएं बनाई जा रही हैं। सभी लोगों को डिजिटल साक्षर बनाने का प्रयत्न भी इस योजना के अंतर्गत किया जाएगा, जिससे कि वे इस डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का लाभ उठा सकें तथा सेवाओं को डिजिटली प्राप्त कर सकें। उच्च गति का ब्रॉडबैंड देश के प्रत्येक गांवों तक पहुंचाने के लिए नेशनल ऑप्टिकल फाइवर नेटवर्क तैयार किया जा रहा है जिसके अंतर्गत प्रत्येक गांव तक आप्टिकल फाइबर को बिछाया जा रहा है।
उच्च बैंडविथ क्षमता वाले नेटवर्क या इंटरनेट कनेक्शन को ब्रॉडबैंड कहा जाता है। इसलिए सबसे पहले हम बैंडविथ के बारे में जाने लेते हैं। बैंडविथ मूलतः किसी नेटवर्क या इंटरनेट पर अधिकतम कितना डाटा भेजा जा सकता है के बारे में जानकारी देती है।  इसे प्रति सेकंड में ही मापा जाता है जैसे कि किलो बिट्स प्रति सेकंड (केबीपीएस), मेगा बिट्स प्रति सेकंड (एमबीपीएस) तथा गीगा बिट्स प्रति सेकंड (जीबीपीएस)। 

            1 केबीपीएस - 1 किलो बिट्स प्रति सेकंड - 1000 बिटस प्रति सेकंड, 
            1 एमबीपीएस - 1000 एमबीपीएस, 
            1 जीबीपीएस - 1000 जीबीपीएस। 
हमारे देश में ट्राई के नियमों के अनुसार 512 एमबीपीएस न्यूनतम गति वाले इंटरनेट कनेक्शन को ब्रॉडबैंड कहा जाता है। ट्राई जल्दी ही इसके 2 एमबीपीएस तक पहुंचाना चाहती है।
यहां एक बात और ध्यान रखने की है, डाटा संग्रहण की क्षमता को जहां बाईट में दर्शाया जाता है वहीं नेटवर्किंग में डाटा ट्रांसफर की गति को दर्शाने के लिए बिट का उपयोग किया जाता है। बाईट को दर्शाने के लिए ‘‘ठ’’ (केपिटल ठ) का तथा बिट को दर्शाने के लिए ‘इ’ का उपयोग किया जाता है। बैंडविथ वैसे तो नेटवर्क की गति बताने के लिए प्रयुक्त होती है लेकिन यह नेटवर्क में एक स्थान से दूसरे स्थान पर डाटा बिट्स कितने समय में या कितनी तेजी से पहुंचेगी यह नहीं बताती है। बैंडविथ सिर्फ यह बताती है कि उस नेटवर्क कनेक्शन पर अधिकतम कितना डाटा प्रति सेकंड जा सकता है। 
ब्रॉडबैंड की आवश्यकता क्यों है
यदि अत्यंत सामान्य भाषा में इस प्रश्न का जवाब दिया जाये तो वह होगा ‘‘इंटरनेट का उपयोग करने के लिए यह पूर्णतः सत्य भी है क्योंकि इंटरनेट का उपयोग भलीभांति हो सके इसके लिए पर्याप्त बैंडविथ वाले इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है। मान लीजिये हम अपने कम्प्यूटर पर भारतीय रेल की वेब साइट को देखना चाहते हैं, यदि हमारा इंटरनेट कनेक्शन अधिक बैंडविथ वाला है तब स्क्रीन पर यह वेब साइट तीव्र गति से प्रदर्शित हो जायेगी, लेकिन यदि इंटरनेट कनेक्शन कम बैंडविथ क्षमता वाला है तब वेबसाइट स्क्रीन पर प्रदर्शित होने में अपेक्षाकृत अधिक समय लेगी।’ आजकल अनेक सरकारी व गैर सरकारी सेवाएं इंटरनेट के माध्यम से ही उपलब्ध कराई जा रही हैं। इनमें लगातार बढ़ोŸारी होती जा रही है। लगभग सभी तरह के बैंकिंग कार्य ऑन लाइन होने लगे हैं, बीमा ऑनलाइन प्राप्त किया जा सकता है, बीमा की प्रीमियम ऑनलाइन जमा की जा सकती है। विभिन्न सेवाओं के बिल जैसे बिजली, टेलीफोन, मोबाइल आदि भी ऑनलाइन भरे जा सकते हैं। अनेक प्रकार की सेवाओं के आवेदन (जैसे पासपोर्ट) ऑनलाइन ही उपलब्ध हैं। सरकारी नौकरियों, प्रतियोगी परीक्षाओं  के आवेदन भी ऑन लाइन ही भरना होते हैं। भारत सरकार की कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की सफलता भी ब्रॉडबैंड से ही जुड़ी हुई है। मध्यप्रदेश व कुछ अन्य राज्यों में लोक सेवा गारंटी योजना भी इसी पर आधारित है। इन दोनों के ही अंतर्गत अनेक प्रकार की शासकीय सेवाओं को आम नागरिकों को सुलभ कराया जाता है जैसे कि जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र, छात्रवृति, राशन कार्ड आदि। अभी हाल में ही पेंशन भोगियों को अपनी पहचान ऑनलाईन देकर पेंशन निरंतर प्राप्त करते रहने की सुविधा सुलभ कराई गई है। पंचायतों को ऑनलाइन किया जा रहा है, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी ऑनलाइन करने की योजना है। विŸाीय समावेशन बढ़ाने के लिये जगह-जगह पर छोटे-छोटे बैंकिंग कियोस्क बनाये जा रहे हैं। बैंक मित्र (बिजनेस कॉरस्पॉन्डेंट) भी बैंकिंग सेवाओं को आम जनता तक पहुंचाने के लिए बनाये जा रहे हैं। ये सब तभी सफल होंगे जब अच्छी गति का ब्रॉडबैंड हर जगह उपलब्ध हो। प्रत्येक स्कूल कॉलेज को भी ऑनलाइन करने पर कार्य चल रहा है जिससे कि छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति का सही पता लग सके। इससे मिड-डे-मील व्यवस्था की भी अच्छी तरह निगरानी हो सकेगी। मनरेगा के अंतर्गत कार्य करने वाले मजदूरों की उपस्थिति भी बायोमेट्रिक द्वारा उनके कार्य स्थल पर प्राप्त करने की योजना है। शासकीय कार्यालयों में अधिकारियों व कर्मचारियों की उपस्थिति को भी बायोमेट्रिक द्वारा ऑनलाइन किया जा रहा है। स्कूल व कॉलेजों में स्तरीय शिक्षा के लिये ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन पायलट आधार पर हो रहा है। इसमें विशेषज्ञ शिक्षकों की कक्षाओं का लाभ दूर-दराज के स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों को मिलने लगा है। इन लेक्चर्स को वेबसाइट पर रखने की योजना है जिससे कि छात्र जब चाहें इन लेक्चर्स को पुनः देख सुन सकें। हमारा देश ई-क्रांति के दौर में प्रवेश कर चुका है तथा तेजी से अनेक सुविधाएं व सेवाएं ऑनलाइन होती जा रही हैं। इन सेवाओं व सुविधाओं की मॉनीटरिंग भी इससे सरल व पारदर्शी होती जा रही हैं। ई-गवर्नेंस, ई-शिक्षा, ई-सेवा, ई- कॉमर्स के इस दौर में सभी जगह ब्रॉडबैंड कनेक्शन की उपलब्धता अत्यंत आवश्यक है। आम नागरिकों को जब सस्ती दर पर रोटी, कपड़ा, मकान के साथ-साथ सस्ती दर पर ब्रॉडबैन्ड उपलब्ध होगा, तब वह अपने आपको पहले से ज्यादा सुखी व सम्पन्न महसूस करेगा। वैसे वह दिन  ज्यादा दूर नहीं है क्योंकि हमारे देश में कुछ जगहों पर 4 जी सेवा आ गई हैं तथा शीघ्र ही यह पूरे भारत में उपलब्ध होने वाली है। 4 जी सेवा के अंतर्गत लगभग 40 एमबीपीएस की गति के ब्रॉडबैंड कनेक्शन उपलब्ध होंगे। ब्रॉडबैंड की उपलब्धता देश को जहां एक ओर प्रगति के पथ पर अग्रसर करेगी वहीं लोगों को एक सूत्र में बांध कर देश की एकता भी मजबूत करेगी।


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