तकनीकी


इंटरनेट की तेज़ रफ़्तार 4G


धर्मेन्द्र कुमार मेहता

विज्ञान और तकनीक को हमारे जीवन से अब पृथक नहीं किया जा सकता। अविष्कार एवं खोज हमारे लिए में वरदान बन कर आते हैं और असाधारण कार्य भी साधारण हो जाता है। दिनों-दिन हमारी आवश्यकताएं बढ़ती जाती हैं और हम नये तथा अत्यधिक सुविधाजनक आविष्कार में लग जाते हैं। विज्ञान ठीक उस अथाह और अनंत सागर की भांति है जिसमें असंख्य राज छुपे होते हैं। वैज्ञानिक एक गोताखोर की तरह होता है जो बार-बार डुबकी लगाता है और मोती पाने की कोशिश करता है। आज हर असंभव कार्य संभव होता जा रहा है। किसी जमाने में हम जिस चांद को देखा करते थे आज हम उस चांद की सतह पर कदम रख चुके हैं। दूरियां अब नजदीकियों में बदल गयी हैं। आज से सौ साल पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक इंसान का कोसों दूर बैठे दूसरे इंसान से वार्तालाप हो पायेगा, लेकिन विज्ञान और तकनीक ने यह मुमकिन कर दिया।
तकनीक, विज्ञान के सिद्धांत का इस्तेमाल करता है और उसे जीवंत रूप देता है। विज्ञान क्यों का जवाब देता है और तकनीक कैसे का जवाब देती है अर्थात विज्ञान और तकनीक परस्पर एक दूसरे से जुड़े हुये हैं। हम विज्ञान के सिद्धांतों का प्रयोग करते हुये मशीन का आविष्कार करते हैं जो हमारे कार्यों को अत्यधिक सरल और सशक्त तरीकों से पूरा करते हैं। इंटरनेट की आवश्यकता और इसकी गुणवत्ता वृद्धि के बारे में बात करते हुए हम पाते हैं कि इंटरनेट का प्रयोग 1975 में अमेरिका में पहले पहल हुआ। इसमें रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता था। सबसे पहले व्यवसायिक तौर पर जापान द्वारा स्वचालित सेलुलर नेटवर्क का प्रयोग टोकियो में 1979 में किया गया, उस कंपनी का नाम था ‘निप्पोन टेलीग्राफ एवं टेलीफोन’ और फिर एक बाद एक अलग-अलग देशों में इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जाने लगा। इस समय अवधि को 1ळ प्रथम पीढ़ी सेवा के रूप में देखा जाता है। 1ळ में बहुत सारी कमियां थीं जिसे अगली पीढ़ी यानि 2G में दूर किया गया। द्वितीय पीढ़ी 2G सेवा का शुभारंभ 1990 के समय में हुआ जिसमें हमने एनालॉग तरंग के बजाय डिजिटल तरंग का प्रयोग किया। सर्वप्रथम 2G सेवा को व्यवसायिक स्तर पर फिनलैंड में रेडियोलींजा के द्वारा 1991 में किया गया।
2G सेवा के अंतर्गत हमने ैडै, इंक्रिटपेटड वार्तालाप और डाटा-ट्रांसफर जैसे कार्यों को शामिल किया। यह सेवा 1G की अपेक्षा ज्यादा तेज और सुरक्षित थी। इससे द्वितीय पीढ़ी का कार्यकाल आगे बढ़ा। यह सेवा बड़े स्तर पर कार्य करने लगी। मुख्य रूप से 2G सेवा को दो भागों में बांटा गया है पहला TDMA। (टाइम डिविजन मल्टीपल एक्सेस) एवं दूसरा CDMA। (कोड डिविजन मल्टीपल एक्सेस) GSM सेवा 2G तकनीक का प्रयोग करता है। एक सर्वे के अनुसार दुनिया के 8% उपभोक्ता ळैड इस्तेमाल करते हैं। 2G सेवा की औसत चाल 512KBPS की मानी जाती है। लेकिन अलग-अलग जगहों पर इसकी विभिन्न रफ्तार होती है।
2G सेवा के बाद 3G सेवा का शुभारंभ हुआ। सर्वप्रथम 3G सेवा को 2003 में यूके में व्यावसायिक स्तर पर लांच किया गया। 3G सेवा उपभोक्ताओं में काफी लोकप्रिय हुई। 3G सेवा मोबाइल टॉवर के द्वारा संप्रेषित की जाती है, इस सेवा के अंतर्गत वायरलेस वॉयस टेलीफोनी, मोबाइल इंटरनेट एक्सेस, वीडियो काल एवं मोबाइल टी.वी. जैसी सेवायें आती हैं। 3G सेवा प्डज्-2000 मानक के अतर्गत आता है जो 3G सेवा की रफ्तार और विश्वसनीयता का प्रतीक है।
3G सेवा की स्पेक्ट्रम 400मेगाहर्ट्ज से लेकर 3गीगाहटर््ज तक होती है जो उपभोक्ता को 1.76 MBPS की अपलोडिंग रफ्तार और 21MBPS की डाउनलोडिंग रफ्तार प्रदान करता है। 3G दो तकनीकों पर आधारित है। HSDPA एवं HSUPA। वर्तमान में 3G सेवा काफी लोकप्रिय है।
विज्ञान और तकनीक में सदैव नवोन्मेष की संभावना होती है। हमें हर चीज में उच्च गुणवत्ता की चाहत होती है। 2G सेवा की रफ्तार कम थी, हमने 3G का आविष्कार किया लेकिन 3G की सेवा भी कुछ कार्यों के लिए खरी नहीं उतर पा रही है।
सवाल उठता है आखिर हमें इंटरनेट की इतनी रफ्तार क्यों चाहिए? क्या उपभोग है इसका? इन सारे सवालों का जवाब आपको एक क्षण में मिल जायेगा। यदि आप आज के ऑनलाइन सेवा के बारे में सोचेंगे तो लगभग हर क्षेत्र में इंटरनेट अपनी जड़ें जमा चुका है। सरकारी दफ्तर से लेकर शासकीय, अर्द्धशासकीय सेवाएं जैसे ई-टिकट, बैंकिंग, हवाई सफर इत्यादि में इंटरनेट का प्रयोग किया जा रहा है।
अतः जितनी ज्यादा इंटरनेट की रफ्तार होगी हमारे काम उतने ही सरल और तेज गति से होगा। आज से 5 साल पहले हमें 10MB की फाइल डाउनलोड करने में घंटों लग जाता था, पर आज सेकंडों में हो जाती है। लेकिन आज भी 2GB की फिल्म डानलोड करने में घटों लग जाता है, शायद आने वाले दिनों में यह काम भी सेकंडों में सम्पन्न हो जायेगा।
आने वाले दिनों में लगभग 90% दैनिक कार्य इंटरनेट की सुविधा के द्वारा संपन्न होगा। जैसे अगर आप ऑफिस गये हैं और आपके कमरे की बत्ती या पंखा चल रहा है आप अपने दफ़्तर से इन्हें बंद कर पायेंगे। आप अपने बच्चों की निश्चित स्थिति जाने सकेंगे, आप अपने बेटे की कार की रफ्तार दफ़्तर में बैठकर कंट्रोल कर पायेंगे, घर वालों की परिस्थितियों का जायजा हर पल उपलब्ध होगा। गाड़ी चलाने के लिए ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ेगी, इसके अलावा ढेर सारे कार्य ऑन-लाइन अर्थात इंटरनेट की मदद से किया जायेगा। इन सभी गतिविधियों को अस्तित्व मंं लाने के लिए हमें तेज रफ्तार की आवश्यकता है।
आज जिस प्रकार हमें हर घर में बिजली के कनेक्शन देखने को मिलता है आने वाले समय में हर घर में इंटरनेट का कनेक्शन होगा। बिजली की भांति यह हमारे जीवन का अहम हिस्सा हो जायेगा। जिस तरह 2 मिनट बिजली जाने से हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है ठीक उसी प्रकार आने वाले समय में तेज गति की इंटरनेट हमारे जीवन प्रमुख अंग हो जायेगा।
इसी सपने को साकार करने के लिए 4ळ सेवा का शुभांरभ किया गया है। 4Gसेवा, 3G के मुकाबले कई गुणा तेज और विश्वसनीय है। 4G के अंतर्गत मोबाइल वेब एक्सेस, आईपी टेलीफोनी, गेंमिंग सेवा, एचडी मोबाइल टीवी, वीडियो कांन्फ्रेसिंग, 3D टेलीविजन एवं क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसे सेवायें उच्च गुणवत्ता के साथ प्रदान की जाती है।
4G सेवा की नींव आईएमटी-एडवांस मानक के द्वारा मार्च 2008 में रखी गयी थी जिसका उद्देश्य 100 MBPS रफ्तार इंटरनेट प्रदान करना था। 4G सेवा नये तकनीक का प्रयोग करता है। 4G सेवा में OFDMA एवं FDE का इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण हमें 3G की अपेक्षा 10 गुना तेज इंटरनेट की सुविधा प्राप्त होती है।एलटीई (लांग टर्म इवोल्यूशंन) एडवांसड मानक 4G सेवा को विस्तृत रूप प्रदान करता है। जब यह 20MHz चैनल का इस्तेमाल करती है तो LTE की डाउनलोडिंग रफ्तार 100MBPS तथा अपलोडिंग रफ्तार 50MBPS की होती है। इसमें MIMO (मल्टीपल इनपुट मल्टीपल आउटपुट) एंटीना का प्रयोग किया जाता है जो उच्च रफ्तार के लिए जिम्मेवार होता है। इस सेवा में सर्किट स्विचिंग के बजाय पैकेैट स्विचिंग का इस्तेमाल किया जाता है, जो डाटा लेटेंसी को दूर करता है।
LTE का उद्देश्य तेज रफ्तार इंटरनेट सुविधा देना है जिसे स्मार्टफोन, टेबलेट एवं लैपटॉप की सहायता से एक्सेस किया जा सके।
4G सेवा नये तरंगदैर्ध्य का प्रयोग करता है इसलिए इसका इस्तेमाल करने के लिए हमें नये डिवाइस की जरूरत पड़ती है जो इस तरंगदैर्ध्य को सपोर्ट करती है।
4G सेवा EE (एवरीथिंग, एवरीवेयर) के द्वारा संचालित किया जाता है। 4ळ सेवा का विकास दो अलग-अलग रूप में हुआ जिसका नाम है WiMAX एवं LTE
पहला WiMAX है जो दक्षिण कोरिया में 2006 में लांच किया गया था तथा LTE जो एसकैंडेनीविया में 2009 में लांच किया गया था। 4G सेवा का विस्तार किया जा रहा है। इंटरनेट के क्षेत्र में प्रयोग होने वाले स्पेक्ट्रम इस प्रकार हैं
    3G      =  850MHz, 900MHz,1900MHz, 2100MHz
    4G      =  800MHz, 1800MHz, 2600MHz
    wi-fi     =  2400MHz, 5000MHz
    Bluetooth =  2400MHz
लंदन, लीड, मैनचेस्टर, ब्रिस्टोल, जैसे जगहों में सबसे पहले 4ळ सेवा की शुरुआत हुई। अगर आप 4G सेवा का इस्तेमाल करेंगे तो आपको वीडियो देखने के लिए बफरिंग जैसी असुविधाओं का सामना नहीं करना पडे़गा। 5GB की वीडियो फाइल एक मिनट में डाउनलोड हो जायेगी। अगर आपके पास पुराना स्मार्टफोन है तो आप 4ळ सेवा का लाभ नहीं ले पायेंगे। आपको नया स्मार्टफोन खरीदना पड़ेगा जो 4ळ सेवा का समर्थन करता है। कुछ निम्नांकित डिवाइस हैं जो 4ळ सेवा को भरपूर समर्थन करता है जैसे एप्पल आईफोन-5, HTC one XL, Nokia Lumia 820LTE, Samsung Galaxy Note 2LTE
इन डिवाइस के साथ-साथ आपको 4G इनेबल सिम कार्ड खरीदना पड़ेगा। इसके बाद आप इस बेहतरीन सेवा का आनंद ले पायेंगे। अलग-अलग हैंडसेट अलग-अलग स्पेक्ट्रम को सपोर्ट करती है उदाहरण के लिए आईफोन-5 850 MHz, 1800 MHz एवं 2100 MHz का उपयोग करती है। वोडाफोन, एयरटेल, बीएसएनएल, आइडिया जैसी मोबाइल कंपनिया 4G इनेबल सिम कार्ड जारी कर चुकी हैं। वर्तमान में प्रयोग हो रहे स्पेक्ट्रम बैंड इस प्रकार हैं:
तरंगदैर्ध्य        E-UTRA Band    Bandwidth 
800 MHz      xx(20)               2x30 MHz(FDD)
1800 MHz    III(3)                  2x25 MHz (FDD)    
2600 MHz    VII(7)                  2x70 MHz (FDD/TDD)

अब एक नजर उन देशों पर डालें जो 4G सेवा की अलग रफ्तार होने की बात करते हैं:

यूके: इस देश के कुछ स्थान पर 60 एमबीपीएस की इंटरनेट रफ्तार मौजूद है जबकि औसतन यह मात्र 25.30 एमबीपीएस है।
यूएसए: अमेरिका में 4G की रफ्तार 58.25 MBPS होने का दावा किया गया है।
दक्षिण कोरिया: यहां पर औसत रफ्तार 53.5 MBPS की है जो दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
आस्ट्रेलिया: इस देश के लगभग 21% जनता 4G नेटवर्क का इस्तेमाल कर रही है। यहाँ दो टेलीकाम आपरेटर हैं जो 4G प्रदान कर रहे हैं जिनका नाम है व्चजने एवं ज्मसेजतं और उनकी डाउनलोडिंग रफ्तार क्रमशः 43MBPS एवं 50 MBPS है।
कनाडा: यहाँ 4G सेवा की औसत रफ्तार मात्र 17 MBPS है लेकिन आदर्श स्थिति में यह 40 MBPS तक होने का दावा किया जाता है।
भारत: हमारे देश में 4G सेवा की रफ्तार 40 MBPS की है जो भारतीय एयरटेल के द्वारा प्रदान किया जाता है। भविष्य में रिलायंस जीवो इंफोकाम 4G सेवा की रफ्तार 49 MBPS होने का प्रस्ताव सामने लाया है। सर्वे के अनुसार भारत में 4G सेवा का उपभोक्ताओं की संख्या 2020 तक 105 मिलियन हो जायेगी। फिलहाल भारत के चुनिंदा शहरों में 4G सेवा का शुभारंभ किया जा रहा है जैसे मुंबई, बैंग्लोर, पुणे, कलकत्ता, दिल्ली, हैदराबाद, भोपाल, जयपुर।

 
इस समय भारती एयरटेल, वोडाफोन एवं रिलायंस कंपनियां 4G सेवा को शुरूआत करने की आधारशिला रख चुकी है। आने वाले दो वर्षों में यहां पर 4G सेवा पूर्ण रूप से अस्तित्व मे आ जायेगी। फिलहाल कई जगहों पर इसे लगाया जा चुका है अभी इसकी टेस्टिंग जारी है। 4G सेवा अभी मशहूर नहीं हो पायी है इसके मुख्य दो कारण हैं-
पहला: 4G सेवा के लिए हमें 4G समर्थन करने वाला डिवाइस खरीदना पड़ता है और इसके साथ 4G इनेबल सिम की भी जरूरत पड़ती है।
दूसरा: 4G सेवा का टेरिफ प्लान 2G और 3G की तुलना में काफी ज्यादा है और इसकी प्रैक्टिल रफ्तार 3G जैसी ही मालूम पड़ती है क्योंकि अभी 4G सेवा को बड़े और पूर्ण रूप से अस्तित्व में नहीं लाया गया है।
लेकिन आने वाले दिनों में 4G सेवा देश के हर शहर और कस्बों में उपलब्ध होगी। अभी इसके लिए भारत सरकार उपयुक्त नीति तैयार कर रही है। आने वाले 10 साल में डिजिटल-इंडिया के निर्माण में 4G सेवा अत्यंत कारगर साबित हो सकती है। हमारे लगभग सारे काम ऑनलाइन हो जायेंगे, जिससे हमारी कार्यक्षमता बढ़ेगी और हम विकास की राह पर तेज गति से कदम बढ़ा पायेंगे। हमें उस दिन का इंतजार है जब 4G एवं 5G सेवा पूर्ण रूप से अस्तित्व में आ जायेगी।

एलआईजी-59 कोटरा सुल्तानाबाद, भोपाल
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