कॅरियर


कॅरियर

पेट्रोलियम  इंजीनियरिंग

संजय गोस्वामी

पेट्रोलियम इंजीनियरिंग का संबंध मुख्य रूप से पेट्रोलियम पदार्थों से है। इन दिनों पेट्रोलियम पदार्थों की आवश्यकता जीवन में काफी बढ़ गई है। इसके बिना कई दैनिक कार्य संभव नहीं हैं। इस क्षेत्र में भारत एशिया के तेल और प्राकृतिक गैस बाजार में बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर रहा है। इस समय भारत में इस क्षेत्र से लाखों लोग प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से जुड़े हैं।

खनिज-तेल का ज्ञान मानव को प्राचीन काल में ही हो गया था। पश्चिमी एशिया में कुछ स्थानों पर खनिज तेल अपने आप ही ज्वाला के रूप में जलता था। हमारे देश के ज्वालाजी मंदिर (ज्वालामुखी-हिमाचल प्रदेश) में गैस अनन्त काल से जल रही है। शुरु शुरु में मनुष्य ने तेल को मुख्यतः प्रकाश के लिए तथा चिकनाई के रूप में उपयोग किया। आज खाना, यातायात, कपड़ा, उद्योग, कृषि, रसायनिक उद्योग, सामरिक उद्योग आदि इस तेल पर या इसके उत्पादनों पर आश्रित हैं। पेट्रो केमिकल इंजीनियरिंग को क्षेत्र में इंजीनियर का पृथ्वी की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि के बारे में पता होना चाहिए। इस क्षेत्र में मुख्य कार्य खनिज तेल अन्वेषण है खनिज तेल हाइड्रोकार्बन यौगिकों का मिश्रण है। अनन्त काल पूर्व जीव-जन्तु तथा वनस्पतियाँ कीचड़, बालू आदि में दबी रह गई। उनके ऊपर उष्णता, दबाव, रसायन, एवं रेडियो सक्रियता आदि क्रियाओं के परिणाम स्वरूप खनिज तेल की उत्पत्ति हुई। यह उत्पत्ति दीर्घकालीन तथा संतृप्त क्रिया के कारण होती है। यह क्रिया कार्बनिक पदार्थों के अवसादों के अन्दर संचित होने के साथ ही प्रारम्भ हो जाती है। तेल अन्वेषण कार्य का मुख्य ध्येय उन संरचनाओं का पता करना है, खनिज-तेल एक कार्बनिक यौगिक है जो हाइड्रोकार्बन के रूप में पाया जाता है हाइड्रोकार्बन अन्वेषण हेतु भूकम्पीय एवं गुरुत्वीय विधियाँ मुख्यतः प्रयोग में लाई जाती है जबकि खनिजों का पता लगाने के लिए वैद्युत विधि अत्यन्त उपयोगी है। संरचनाओं का पता लगने के बाद इनमें वेधन कार्य किया जाता है। अन्वेषण कार्य में वैद्युत संलेखन का प्रयोग प्रायः किया जाता है। इसमें रेडियो सक्रियता का भी प्रयोग किया जाता है। पेट्रोकेमिकल का उपयोग कई जगहों पर किया जा सकता है। आज गैसोलीन, मिट्टी के तेल, डीजल ईंधन, मोटर तेल, एस्फाल्ट (कंक्रीट के निर्माण के लिए एक एस्फाल्ट-युक्त ढेर), का उपयोग जैसे रसायन उद्योग, खाद्य उद्योग, कागज उद्योग, चीनी उद्योग, रंगाई उद्योग, कृषि, फार्मा, ऑटोमोबाइल, भवन-निर्माण के विभिन्न क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। पेट्रोलियम कैसे बना है इसका अभी तक कोई सर्वमान्य सिद्धांत स्थिर नहीं हुआ है। भिन्न-भिन्न वैज्ञानिकों ने भिन्न-भिन्न सिद्धांत समय-समय पर प्रतिपादित किए हैं। सिद्धांतों को हम ‘कार्बनिक’ और ‘अकार्बनिक’ सिद्धांतों में विभक्त कर सकते हैं। अकार्बनिक सिद्धांत के अनुसार धातुओं के कारबाइडों पर रासायनिक क्रिया से पेट्रोलियम बनता है। कार्बनिक सिद्धांत के अनुसार पेट्रोलियम वानस्पतिक स्रोतों से बनता है। प्रवाल और डायटम से पेट्रोलियम बनने का आधुनिकतम सिद्धांत कार्बनिक सिद्धांत को ही पुष्ट करता है। व्यापारिक दृष्टि से पेट्रोलियम का उत्पादन 1859 ई. में शुरू हुआ, जब ड्रेक ने अमरीका के पेन्सिल्वेनिया राज्य में 6,905 फुट की गहराई में तेल का पता लगाया। अनेक वर्षाे तक इसका उपयोग केवल रोशनी उत्पन्न करने और स्नेहक (सनइतपबंदज) तैयार करने में ही होता था। उस समय शक्ति उत्पन्न करने का प्रमुख साधन केवल कोयला था। हमारे देश में जिन क्षेत्रों का बहुत तेजी से विकास हो रहा है, पेट्रोलियम और ऊर्जा उनमें से एक है। भारत की बड़ी इंडस्ट्रीज में पेट्रोलियम इंडस्ट्री का क्रम सबसे ऊपर आता है। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग तथा अन्य तेल कंपनियां इस क्षेत्र में भारी लाभ अर्जित रही हैं। पेट्रोलियम और विभिन्न पेट्रोप्रोडक्ट्स के बढ़ते इस्तेमाल के कारण इस फील्ड में कुशल पेशेवरों की काफी मांग रही है। कच्चे तेल की संरचना और मांग के अनुसार रिफाइनरियां, पेट्रोलियम उत्पादों को विभिन्न मात्राओं में उत्पादित करती हैं। तेल उत्पादों का सबसे अधिक मात्रा में उर्जा वाहकों के रूप में खनिज तेल का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि गैसोलीन (पेट्रोल) तर्था इंधन तेल के विभिन्न प्रकार से सल्फर हटाने की प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाला बाई-प्रोडक्ट, ऑर्गेनिक सल्फर वाले यौगिकों के रूप में सल्फर का लगभग दो प्रतिशत तक शामिल हो सकता है। सल्फर और सल्फ्यूरिक एसिड उपयोगी औद्योगिक सामग्रियां हैं। सल्फ्यूरिक एसिड को आमतौर पर एसिड का निर्माण करने वाले ओलियम के रूप में तैयार किया तथा भेजा जाता है। इन उर्जा-वाहक ईंधनों में गैसोलीन (पेट्रोल), जेटईंधन, डीजलईंधन, गरमाने वाला तेल, तथा भारी ईंधन तेल शामिल होते हैं या मिश्रित करके इन्हें बनाया जा सकता है।

 

पेट्रोलियम इंजीनियर हेतु रिफाइनरी संयंत्र का गुणवत्ता परीक्षण

पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए प्रोपेन/ब्यूटेन आयात टर्मिनल की स्थापना हेतु प्रशीतित भंडारण और सभी संबंधित उपयोगिता प्रणाली, पेट्रोलियम/एलपीजी, फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन प्रणाली के उत्पादन के लिए पाइप लाइनों स्थानांतरण, टर्मिनल पर सुविधाओं उतारने के साथ पूरा करने के लिए पाइप लाइन के माध्यम से पहुँचाया जाता है पाइप लाइन के साथ-साथ टैंकरों में डीजल, मोटर तेल, सॉल्वैंट्स और परिशोध ट्रीटमेंट इकाई हेतु पाइपिंग का ज्ञान और इसकी गुणवत्ता नियंत्रण के बारे में रिफाइनरी संयंत्र हेतु आवश्यक है। जेटी में संयंत्र के लिए भूजल की गुणवत्ता बढ़ाने वाले संयंत्र का अधिष्ठापन हेतु रिफाइनरी/प्राकृतिक गैस उपयोग परियोजना के लिए पाइप लाइन के साथ-साथ प्रवणता, गहराई, प्रकार, उत्पादकता, पर्यावरणीय आँकड़े (प्रयोगशालाएँ एवं कूपों की स्थितियाँ), ज्क्ै इत्यादि मुख्य हैं। पेट्रोलियम इंजीनियर सॉफ्टवेयर के साथ जी.आई.एस. का उपयोग कर, पेट्रोकेमिकल / खनिज-तेल की सूचनाएँ और उनके निर्णय लेने में भी सहायक होते हैं। खनिज - तेल की सूचनाएँ के बारे में वेब आधारित जी.आई.एस. सॉफ्टवेयरों में आँकड़ों के प्रयोग को विकसित करने की अपार क्षमता मौजूद है। रिफाइनरियों में पाइप को जोड़ने के लिए और अन्य संरचनाओं के निर्माण में  वेल्डिंग का प्रयोग किया जाता है। पेट्रोलियम इंजीनियर हेतु पाइपिंग की गुणवत्ता नियंत्रण के बारे में वेल्डिंग प्रक्रिया तकनीकों से भी अवगत होना चाहिए वेल्डिंग के वक्त वेल्ड में दोष आ सकते हैं। इसके लिए वेल्डिंग निरीक्षक, वेल्ड के निरीक्षण का कार्य एनडीटी परीक्षण द्वारा पूरा करते हैं। रेडियो ग्राफिक और अल्ट्रासोनिक तकनीक गैर विनाशकारी परीक्षण सबसे आम तरीकों में से दो प्रकार के एनडीटी परीक्षण हैं। गैर विनाशकारी परीक्षण के स्पष्ट लाभ वेल्डर वेल्डेड भाग को बिना नष्ट करके वेल्ड समस्याओं का पता लगा सकते हैं। एनडीटी परीक्षण के अनुसार, रेडियो ग्राफिक परीक्षण- एक्स-रे या गामा-रे से फोटो फिल्म पर एक ठोस वस्तु (वेल्ड की) के माध्यम से गुजरता है  किसी भी दोष में रेडियो ग्राफिक छवि की स्थायी रिकार्ड प्रदान करता है। यह एक धीमी और महंगी विधि है। वेल्ड गुणवत्ता में वेल्ड के अंदरूनी हिस्सों में सरंध्रता, समावेशन, दरारें और रिक्तियों का पता लगाने के लिए अच्छी तकनीक अल्ट्रासोनिक जांच भी है। अल्ट्रासोनिक जांच के द्वारा अल्ट्रासोनिक ऊर्जा की किरण के माध्यम से यांत्रिक कंपन वेल्ड से गुजरता हैं-किसी भी दोष से अल्ट्रासोनिक रे वापस परिलक्षित होगा वहाँ वेल्ड में दोष है वेल्ड में दोष की सही स्थिति का निर्धारण करने की क्षमता एक योग्यता धारी पेट्रोलियम इंजीनियर एनडीटी परीक्षण के द्वारा देता है। पेट्रोलियम इंजीनियर इस प्रक्रिया का उपयोग कर वेल्डर ऑपरेटर क्षमता और प्रशिक्षण की सही स्तर जान जाते हैं। तरल डाई व्याप्ति परीक्षण (क्च् जमेज) भी वेल्ड में दरार का पता लगाने के लिए एक गैर विनाश विधि (छक्ज्) है। पेट्रोलियम उत्पादों एवं पेंट के अविनाशी परीक्षण माइक्रोवेव के द्वारा निर्माण कार्याे के प्रयोग में आने वाली सामग्री का गुणवत्ता परीक्षण के लिए परीक्षण प्रयोगशालाएँ जाते हैं, जिससे डिजाइन तैयार करने एवं सेवाकाल में सामग्री के कार्य निष्पादन की मानीटरिंग हेतु भी सूचनाएं उपलब्ध हो जाती है। पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए प्रोफेशनल कॅरियर के अलावा रिसर्च के क्षेत्र में भी अच्छे अवसर हैं। वह रिसर्च लैब में बतौर साइंटिस्ट या रिसर्च फेलो के रूप में अनुसंधान तथा विकास कार्य इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम(ब्ैप्त्), देहरादून में कर सकते हैं। विदेशों, खासतौर पर खाड़ी देशों में भी पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए कॅरियर निर्माण के ढेरों अवसर मौजूद हैं।

कोर्स

पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के कोर्स अंडर ग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट दोनों स्तरों पर संचालित किए जाते हैं। बीटेक के 4 वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र तथा गणित विषयों में 10़2 परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। पेट्रोलियम इंजीनियरों के लिए मार्केटिंग और प्रबंधन क्षेत्र के युवाओं के लिए भी इसमें काफी अवसर हैं। पेट्रोलियम उद्योग के तहत भूगर्भ शास्त्रियों, जियोफिजिस्ट और केमिकल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन और प्रोडक्शन इंजीनियरों के लिए पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में कॅरियर के शानदार विकल्प उपलब्ध हैं। एमटेक पेट्रोलियम इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम केमिकल, पेट्रोलियम, पेट्रो केमिकल तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए है।

कार्य

तेल उद्योग को अन्वेषण और उत्पादन तथा रिफाइनिंग, मार्केटिंग और वितरण क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें सभी स्तरों पर कॅरियर निर्माण के शानदार अवसर उपलब्ध हैं। पेट्रोलियम इंजीनियर विभिन्न क्षेत्रों में इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, पृथ्वी वैज्ञानिक भूवैज्ञानिक और ड्रिलिंग इंजीनियर के साथ मिलकर काम करते हैं।

अवसर 

स्नातकों के लिए कॅरियर निर्माण के तमाम अवसर हैं। पेट्रोलियम इंजीनियरों की बढ़ती मांग का ही परिणाम है कि इन्हें अच्छे वेतन पर आकर्षक रोजगार देने के लिए पेट्रोलियम कंपनियां हमेशा तैयार रहती हैं। चूंकि सारी दुनिया में सुरक्षित तथा किफायती ऊर्जा संसाधनों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है, इसलिए इन प्रोफेशनल की मांग का सिलसिला आगामी दशकों में भी जारी रहेगा। पेट्रोलियम उत्पादन कंपनियों, कंसल्टिंग इंजीनियरिंग कंपनियों, कुओं की खुदाई करने वाली कंपनियों के साथ-साथ ओएनजीसी, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम तथा रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स के अलावा रिसर्च और शैक्षणिक संस्थानों में आकर्षक वेतनमान पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।

मुख्य संस्थान

  • राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नॉलॉजी, रायबरेली
  • इंडियन ऑयल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम मैनेजमेंट, गुड़गांव
  • इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम मैनेजमेंट, गाँधीनगर
  • इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम, देहरादून
  • स इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नॉलॉजी, गाँधीनगर
  • इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज, डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय (क्न्प्म्ज्), डिब्रूगढ़ संस्थान, असम-786004
  • पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय, गांधीनगर, गुजरात-382007
  • आदित्य इंजीनियरिंग कॉलेज, आदित्यनगर, एशियाईविकासबैंकरोड, पूर्वी गोदावरी, आंध्रप्रदेश-533437
  • राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा, राजस्थान-324010    
  • भगवंत विश्वविद्यालय: इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कॉलेज, सीकररोड, अजमेर, राजस्थान-305004
  • देहरादून इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, देहरादून, उत्तराखंड
  • आईआईटी गुवाहाटी, गुवाहाटी, असम-781039
  • रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, रंगारेड्डी, चेवेल्ला (एम), तेलंगाना-500074 
  • राजीव गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज (त्ळब्म्), चेन्नई, तमिलनाडु
  • डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय, डिब्रूगढ़, असम-786004
  • डेल्टा अध्ययन संस्थान, आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम, आंध्रप्रदेश-530017
  • एसी प्रौद्योगिकी कॉलेज, सरदार पटेल रोड, गिंडी, चेन्नई, तमिलनाडु-600025
  • पंडित दीन दयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय, गांधीनगर, गांधीनगर-382007
  • बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई
  • दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
  • मद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नई
  • जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर उत्तर प्रदेश 

 

goswamisanjay80@yahoo.com