ऐतिहासिक पृष्ठ


अन्ना ली फिषर

अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम माँ 

कालीषंकर

आज की तिथि तक 57 महिलाएँ अन्तरिक्ष मंे जा चुकी है जिन्होंने अन्तरिक्ष अन्वेषण में अपना महान योगदान प्रदान किया। इन महिलाओं में एक-एक महिला ब्रिटेन, फ्रान्स और दक्षिण कोरिया से थी, दो-दो महिलाएँ कनाडा चीन और जापान से थी तथा 45 महिलाएँ अमरीका से थीं। अन्तरिक्ष में अनेक माँएँ भी गईं तथा अपने बच्चे की यादों को दिल में संजोए हुए तथा अपने परिवार को याद करते हुए उन्होंने अन्तरिक्ष अन्वेषण के कार्यो में पूरी तरह से हिस्सा लिया। अन्तरिक्ष में, जाने वाली प्रथम माँ अन्ना ली फिशर थी। इनकी षादी इनके सहयोगी अन्तरिक्ष यात्री विलियम एफ फिशर से 1977 में हुई जो पेशे से एक डॉक्टर थे। इनके दो पुत्रियाँ थीं। प्रथम पुत्री का नाम क्रिस्टीन एन्ने है जिसका जन्म 29 जुलाई 1983 को हुआ तथा दूसरी पुत्री का नाम कारालीन है जिसका जन्म 10 जनवरी 1989 को हुआ। अन्ना फिशर की अन्तरिक्ष उड़ान के समय उनकी प्रथम बेटी का जन्म हो चुका था। यह दूसरी बात है कि वर्ष 2000 में फिशर दम्पति का तलाक हो गया। इस प्रकार अन्ना फिशर को अन्तरिक्ष में जाने वाली प्रथम माँ का गौरव प्राप्त है तथा उन्होंने मातृत्व की भावना को अन्तरिक्ष में पहुँचाने का पहली बार कार्य किया। यहाँ पर अन्ना फिशर के जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया जायेगा तथा उनके द्वारा किये गये कुछ साक्षात्कार के अंशों को भी प्रस्तुत किया जायेगा। वे नासा में काफी अर्से से कार्यरत महिला अन्तरिक्ष यात्री हैं तथा स्पेस षटल, अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और ओरियन परियोजना मेें उनका काफी और महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
यद्यपि अन्ना फिशर का जन्म न्यूयार्क सिटी में हुआ लेकिन उनका लालन पालन कैलीफोर्निया के सैन पेड्रो में हुआ तथा इसे ही वे अपना घर मानती है। उनके व्यक्तिगत शौकों में शामिल चीजें हैं - बर्फ और पानी पर आखेट (स्किीइंग), जोगिंग, उड़ान भरना, स्कुबा डाइविंग, पढ़ना, फोटोग्राफी और अपनी बच्चियों के साथ अधिक से अधिक समय गुजारना। उनकी माँ ह्मूस्टन में रहती हैं तथा पिता की मृत्यु हो चुकी है।
फिशर ने 1967 में कैलीफोर्निया के सैन पेड्रो हाई स्कूल से ग्रेजुएशन प्राप्त किया। 1971 में उन्होंने लॉस एन्जीलीस स्थित कैलीफोर्निया विश्व विद्यालय से रसायन शास्त्र में ‘बैचेलर ऑफ साइंस’ की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद फिशर ने वहाँ पर ग्रेजुएट स्कूल ज्वाइन किया तथा वहाँ पर उन्होंने मेटलकार्बोनेटस के ऊपर एक्स किरण क्रिस्टलग्राफी पर अध्ययन कार्य प्रारंभ किया। अगले वर्ष फिशर ने कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के मेडिकल कालेज को ज्वाइन किया तथा 1976 में वहाँ से डाक्टर ऑफ मेडिसिन डिग्री प्राप्त की। उसके बाद 1987 में वे पुनः कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय गई तथा वहाँ से मास्टर आफ साइंस की डिग्री प्राप्त की। 
डॉ. फिशर का चयन अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में जनवरी 1970 में हो गया था। अगस्त 1979 में एक वर्ष का उन्होंने अपना प्रशिक्षण और आंकलन पीरियड पूरा किया तथा इस के आधार पर भावी स्पेस शटल उड़ानों के लिए वे मिशन विशेषज्ञ पद के लिए अधिकृत कर दी गई। उसे बाद एक वर्ष के मूल प्रशिक्षण से उन्हें नासा के लिए एस.टी.एस.-1 से एस टी एस -4 शटल अभियानों में प्रमोचन से पूर्ण रिमोट मैनीपुलेटर तंत्र (रोबोटिक भुजा ) की जाँच में कार्य करने का दायित्व प्रदान किया गया। इसके अलावा कई अन्य तकनीकी तंत्रों में भी उन्हें कार्य करने का अवसर मिला ।     
स्पेस शटल , मिशनो - एस.टी.एस.-5 से एस.टी.एस-7 में उन्होंने शटल के इन्टीग्रेटेड टेस्टिंग में सहयोग दिया। इसके अतिरिक्त फिशर ने शटल मिशनों एस.टी.एस.-1 से एस.टी.एस.-4 में शटल के लैन्डिग और प्रमोचन जाँचों में भी सपोर्ट प्रदान किया। अपने इन निर्धारित कार्यों के दौरान फिशर को षटल मिशन एस टी एस-9 में कैप्सूल कम्युनिकेटर (कैपकाम ) के प्रचालन तरीकों को विकसित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
डॉ. फिशर पहली बार स्पेस शटल डिस्कवरी की उड़ान एस.टी.एस.-51ए के द्वारा अंतरिक्ष में गई। इस मिशन में फ्रेडरिक हॉक कमान्डर थे, डेविड वाकर पायलट थे, डॉ. जोसेफ एलेन, डॉ. डेल गार्डेनर तथा अन्ना फिशर मिशन विशेषज्ञ थे। इस मिशन में दो उपग्रह अंतरिक्ष में प्रस्तरित किये गये तथा दो अन्य उपग्रह ‘पलापा बी 2श् और वेस्टार ‘टप्श् अन्तरिक्ष में रिकवर किये गये जिनकी मोटर पूर्व में प्रचालित नहीं की जा सकीं थी। मिशन एस.टी.एस. -51ए का प्रमोचन 8 नवम्बर 1984, को केनेडी अंतरिक्ष केन्द्र से किया गया। 16 नवम्बर 1984 को यह पृथ्वी पर वापस आया। इस मिशन के दौरान स्पेस षटल डिस्कवरी ने पृथ्वी की 127 परिक्रमाएँ की तथा मिशन 192 घन्टे अंतरिक्ष में रहा।  डॉ. फिशर की शटल मिशन एस.टी.एस.- 61 एच में मिशन विशेषज्ञ की भूमिका स्पेस शटल चैलेंजर की दुर्घटना के पहले डॉ. फिशर को एस.टी.एस.-61 एच मिशन के लिए मिशन विशेषज्ञ का उत्तरदायित्व दिया गया था। चैलेंजर दुर्घटना होने के बाद उनकी ड्यूटी निर्धारण में परिवर्तन किया गया तथा उन्हें अन्तरिक्ष कार्यालय में मिशन विकास शाखा का ड्यूटी तथा उडा़न आँकडो़ के लिए अन्तरिक्ष यात्री कार्यालय में प्रतिनिधि का उत्तरदायित्व दिया गया। 1987 वर्ष के अन्तरिक्ष यात्रियांे के चयन के लिए उन्हें अन्तरिक्ष यात्री चयन बोर्ड में भी रखा गया। डॉ. फिशर ने अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन के सपोर्ट आफिस में भी कार्य किया जहाँ पर उनकी प्रमुख ड्यूटी प्रचालन शाखा में थी। प्रशिक्षण, प्रचालन और स्वास्थ्य सेवाओं को बनाए रखने के लिए (अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में) भी उन्हें समयानुसार ड्यूटी प्रदान की गई। परिवारिक उत्तरदायित्व 1989 से 1995 के बीच डॉ. अन्ना फिशर ने अन्तरिक्ष कार्यालय से छुट्टी ली जिससे वे अपने परिवार की ओर अधिक ध्यान दे सकें। 1996 से 2002 तक -(जब अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के निमार्ण का प्रारंभिक चरण चल रहा था) डॉ. फिशर अंतरिक्ष स्टेशन शाखा की प्रमुख थीं। उस क्षमता में उन्होंने कई संस्थाआंे के साथ सामंजस्य स्थापित किया और चर्चाएँ की ।
जब वे अपनी परिवारिक जिम्मेदारियों को निभाकर वापस अंतरिक्ष यात्री कार्यालय में वापस आईं तो उन्हें अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की प्रचालन निर्धारण शाखा में नियुक्ति प्रदान की गई। अंतरिक्ष यात्री कार्यालय में अनेक परिवर्तनों के मद्देनजर उन्हें अनेक जिम्मेदारियाँ प्रदान की गईं तथा डॉ. फिशर ने सभी जिम्मेदारियाँ को बाखूबी निभाया । फिशर का निर्धारण बाद में स्पेस शटल शाखा में कर दिया गया। प्रबन्धन में सिद्ध अंतरिक्ष यात्री के तौर पर अब वे ओरियन परियोजना पर कार्य कर रही है।
नासा के जान्सन अंतरिक्ष केन्द्र ओरल हिस्ट्री परियोजना के अन्तर्गत डॉ. अन्ना फिशर के कुछ साक्षात्कार लिये थे जिनमें से दो साक्षात्कार के अंषों का अध्ययन हम कर सकते हैं। इन साक्षात्कारों में अन्ना ने बहुत ही निजी, वैयक्तिक बातें की हैं और अपनी अंतरिक्ष यात्रा की आकांक्षा को लेकर जेनिफर रॉस-नैज़ल से संवाद किया है। 

आज 17 फरवरी 2009 है। हमें ज्वाइन करने के लिए धन्यवाद तथा हम आपकी प्रशंसा करते है। मुझे पता है कि आप की दिनचर्या बहुत व्यस्त है।

यहाँ आकर बहुत अच्छा लग रहा है। 

मैं आप से नासा में कार्य करने के पहले वाले समय के विषय में बात करना चाहूँगा। क्या आप बताएँगी कि जब आप बड़ी हो रही थी तो आपकी विज्ञान के प्रति रूचि कैसे बढ़ी? 

विज्ञान और गणित में मेरी दिलचस्पी हर समय से रही है तथा इसका कारण यह था कि मैं इन विषयों में अच्छे अंक लाती थी। मैं शर्मीली थी इसलिए मैं उस प्रकार के स्वभाव वाली नहीं थी कि थियेटर या अन्य इस प्रकार के स्थलों पर जाऊँ। जब मैं 7 वी कक्षा में थी तो हमे याद है कि हम लोग केन्टुकी में फोर्ट कैम्पबेल में रहते थे। एक दिन भौतिक अभ्यास की कक्षा मेें हमारे अध्यापक ने रेडियो ट्रान्जिस्टर के द्वारा अंतरिक्ष यात्री अलन बी शेपर्ड की अंतरिक्ष यात्रा का वृत्तान्त सुनाया। उसे सुनकर मैंने भी सोचा कि ‘‘ मैं भी वैसा ही कुछ करूगीं।’ लेकिन उस समय सभी अंतरिक्ष यात्री पुरूष हुआ करते थे तथा वे फाइटर वायुयानों के पायलट होते थे। लेकिन यह बात मेरे मस्तिष्क में कभी नहीं आई कि मैं भी पायलट ट्रेनिंग के लिए जाऊँ। वैसे भी यह चीज कोई आसान चीज नहीं थी अथवा जो कभी मेरी कल्पनाओं में आई हो। लेकिन मैं यह बात अवश्य सोचा करती थी कि हो सकता है कि कभी अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष में स्थपित किया जायेगा। 

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आज 3 मार्च 2011 है। (यह परियोजना के अन्तर्गत अगला साक्षात्कार है।) डॉ. फिशर हमें ज्वाइन करने के लिए धन्यवाद ।
यहाँ आकर मुझे बड़ी खुशी हुई है। 

मुझे पता है कि आप कितनी व्यस्त हैं। हमारे पास आपके लिए कुछ प्रश्न आप की अन्तरिक्ष उड़ान से पहले के आप के अनुभव के विषय में हैं जिन्हें हमने आप के पिछले साक्षात्कार में कवर नहीं किया था। क्या आप अब भी आपातकालीन रूम डाक्टर की भाँति कार्य करती है?
पहले साल थोडे़ समय के लिए तथा बाद में यह समय और भी कम हो गया । बाद में यह थोड़ा मुश्किल लगने लगने लगा तथा फिर इसे बन्द करना पड़ा । 

मैंने कहीं पढ़ा था कि प्रारंभिक कक्षीय टेस्ट उड़ानों के लिए आप मेडिकल प्रचालन की इंचार्ज थी। क्या आप अपने उस कार्य के प्रति कुछ बताना चाहेंगी? 

मैं मेडिकल प्रचालन की इंचार्ज नहीं थीं बल्कि सभी डॉक्टरों को कार्यालय में बुलाया जाता था तथा उन्हें आवश्यकतानुसार लैन्डिग और प्रमोचन साइटों पर भेजा जाता था।
3 अप्रैल 2012 को डॉ. फिशर ने यहाँ के विद्यार्थियों के साथ अपने जीवन के अनुभवों को शेयर किया तथा इसका वर्णन किया कि किस प्रकार उन्होंने अपनी जीवन यात्रा एक आपातकालीन रूम फिजीशियन कैरियर को छोड़कर नासा के 3 दशक कॅरियर को अपनाया जिसके अन्तर्गत वे स्पेस शटल डिस्कवरी के द्वारा अन्तरिक्ष में गई। यह समारोह संस्थान के महिला रिसोर्स केन्द्र के द्वारा आयोजित किया गया था। इस मौके पर संस्थान निदेशक अड्रिएन सिम्स ने कहा, ‘डॉ. फिशर की इस संस्थान की विजिट उन महिला विद्यार्थियों के लिए ‘आई-ओपेनर’ और ‘डोर ओपेनर’ का काम करेगी जिन्हें विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग और गणित में विशेष दिलचस्पी है।’ इस अवसर पर डॉ. फिशर ने संस्थान में अपने कार्यों के ऊपर एक प्रजेन्टेशन भी दिखाया तथा उसके बाद वहाँ पर विद्यार्थियों के साथ लंच किया । उन्होंने यह बात भी बताई कि किस प्रकार उन्होंने अपने परिवार को सँवारने के लिए नासा से छुट्टी ली तथा उसके बाद पुनः नासा ज्वाइन किया।

सम्मान एवं पुरस्कार

डॉ. अन्ना फिशर को अपने अंतरिक्ष कैरियर में अनेक सम्मानों से विभूषित किया जा चुका है तथा ये सम्मान और अवार्ड निम्न हैंः

  • राष्ट्रीय विज्ञान फाउन्डेशन अन्डरग्रेजुएट रिसर्च फेलोशिप  (1970.71में) 
  • कैलोफोर्निया विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में आनर्स के साथ सफलता 
  • नासा का अंतरिक्ष उडा़न मेडल
  • मेरिटोरियस साल्वेज आपरेशन के लिए ल्वायड्स ऑफ सिलवर मेडल
  • कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय प्रोफेशनल अचीवमेन्ट अवार्ड
  • कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय मेडिकल प्रोफेशनल अचीवमेन्ट अवार्ड 1999
  • वर्ष 1986 की कैलीफोर्निया विज्ञान केन्द्र महिला सम्मान   
  • वर्ष 2012 का कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय का अल्युमिनी आवार्ड 

K-1058, आशियाना कालोनी, कानपुर रोड,  लखनऊ- 226012 (यू.पी.) 
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