विज्ञान समाचार


अब पेपर जैसी पतली स्क्रीन के साथ आएंगे कम्प्यूटर

अब जल्द ही ऐसे कम्प्यूटर आने वाले हैं जिनमें पेपर से भी पतली फ्लेक्सीबल स्क्रीन लगी होगी। इन अनोखी स्क्रीन्स को फोल्ड करने समेत किसी भी एंगल में घुमाया जा सकेगा। ये स्क्रीन्स ट्रांसपेरेंट होंगी जिसके चलते इनके आर-पार सब कुछ दिखाई देगा, जबकि चालू होने पर इसमें बहुत ही शानदार क्वालिटी का कंटेंट दिखाई देगा। जापान द्वारा बनाये इन स्क्रीन को बड़ी साइज के इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों जैसे कम्प्यूटर, टीवी, लेपटॉप आदि में लगाया जाएगा। इनकी लाइट एमिशन एफिशियंसी और ब्राइटनेस में और ज्यादा सुधार किया जाएगा ताकि नई और अनोखी तरह की डिस्पले तकनीक में इजाफा किया जा सके। इस तकनीक वाले और पेपर से भी पतली स्क्रीन वाले कम्प्यूटर शानदार डिस्पले आउटपुट देने के बावजूद बिजली की खपत भी बहुत कम करेंगे। 

एसडीओ ने लिया सूरज का 10 करोड़वां फोटो

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जरवेटरी (एसडीओ) ने सूर्य का 10 करोड़वां फोटो लिया है। अंतरिक्ष से सूर्य पर नजर रखने वाली ऑब्जरवेटरी ने एडवांस इमेजिंग एसेम्बली (एआईए) का इस्तेमाल करते हुए 19 जनवरी को सूर्य की ये तस्वीरें ली हैं। नासा के मुताबिक, सूर्य की आठ तस्वीरें लेने के लिए एआईए ने चार दूरबीन का इस्तेमाल किया। एआईए और दो अन्य उपकरणों के बीच एसडीओ ने एक दिन में 1ण्5 टेराबाइट डेटा नीचे भेजा। यह प्रतिदिन सूर्य की 57ए600 तस्वीरें भेजता है, जो यह दर्शाता है कि सौर ऊर्जा किस प्रकार घटती-बढ़ती है और कभी-कभी सौर वातावरण में किस प्रकार विस्फोट होता है। एसडीओ को 11 फरवरी, 2010 को लॉन्च किया गया था। तब से अब तक इसने सूर्य की कई अद्भुत तस्वीरें भेजी है, जिससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस प्रकार सौर मंडल का तापमान सूर्य की सतह की तुलना में करीब 1ए000 गुना अधिक गर्म होता है, किन कारणों से सौर विस्फोट होता है और क्यों सूर्य का चुम्बकीय क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है।

मंगल पर सलाद उगाने की तैयारी

ब्रिटिश वैज्ञानिकों का एक समूह मंगल ग्रह पर सलाद उगाने की तैयारी कर रहा है। मीडिया में आई रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। साउथम्पटन विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के एक समूह ने मंगल ग्रह पर पृथ्वी से सलाद के बीज, जल, पोषक तत्व और वायुमंडल को प्रसंस्कृत करने और उस पर निगरानी रखने वाले उपकरणों के साथ एक ग्रीनहाउस भेजने की योजना बनाई है। ‘मंगल ग्रह पर सलाद’ अभियान के तहत इन तमाम चीजों के साथ एक ग्रीनहाउस पृथ्वी से मंगल ग्रह पर भेजा जाएगा। रिपोर्ट में साउथम्पटन विश्वविद्यालय की सुजाना लुकारोट्टी के हवाले से कहा गया है, ‘दूसरे ग्रह पर निवास करने के लिए हमें वहां खाद्यान्न उगाना होगा। वास्तव में अब तक यह किसी ने नहीं किया है और हम पहली बार ऐसा करने जा रहे हैं। अगर ब्रिटिश समूह के इस अभियान को मंजूरी मिल जाती है तो मंगल ग्रह पर 2025 तक मानव बस्ती बसाने के लिए चल रहे ‘मार्स वन’ अभियान के तहत 2018 तक मंगल ग्रह पर सलाद के बीच भेजे जाएंगे। मंगल ग्रह पर यदि मार्स वन सुरक्षित तरीके से पहुंच जाता है तो वह वहाँ 21 से 24 डिग्री सेल्यिस तापमान बनाए रखने के लिए उष्मक तत्व की आपूर्ति शुरू कर देगा। मंगल ग्रह के वायुमंडल से पादपों के लिए जरूरी कार्बन डाईऑक्साइड शोषित कर सलाद उगाने के लिए तैयार चेंबर में प्रसंस्कृत कर भेजा जाएगा। इसके बाद बिना मिट्टी में सलाद को उगाया जा सकेगा, जिस पर लगातार पानी तथा पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाएगा।