पत्र प्रक्रिया


पत्र प्रतिक्रिया

आपकी पत्रिका के माध्यम से युवाओं को विज्ञान को समझने का एक नया नजरिया मिल रहा है, जिससे उन्हें अपने परिवेश को समझने में सहायता मिलती है। यदि पत्रिका में प्रतिमाह एक विज्ञान मॉडल बनाने की विधि सम्मलित की जाए तो छात्रों में पत्रिका के प्रति और भी रोचकता बढ़ जाएगी। मैं स्वयं भी नियमित रूप से आपकी पुस्तक का वाचन करता हूं जिसकी एक प्रति मुझे आईसेक्ट के माध्यम से प्राप्त हो जाती है। पत्रिका में दी गई विषय वस्तु अत्यंत ज्ञानप्रद होती है जिससे आधुनिक विज्ञान से रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है। विज्ञान के क्षेत्र में होने वाली नई-नई खोजों की जानकारी भी पत्रिका से प्राप्त होती है साथ ही पर्यावरण से जुड़े हुए लेख भी मुझे बहुत प्रभावित करते हैं। सभी लेखों में पत्रिका की टीम के कठिन परिश्रम की झलक मिलती है। वर्तमान में पत्रिका में माहवार वैज्ञानिकों के जो जीवन चरित्र पर जो प्रकाश डाला जा रहा है वह बहुत सराहनीय है जिसके लिए मैं पत्रिका की टीम का आभारी हूं। मैं पत्रिका के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

हेमन्त श्रीवास्तव, टीकमगढ़

जहाँ तक मेरा ख्याल है कि हिन्दी में विज्ञान लेखन बहुमुखी चुनौतियों से जूझ रहा है। हिन्दी जनमानस की भाषा हैं। उत्कृष्ट हिन्दी में विज्ञान लेखन किसी भी लेखक का व्यक्तिगत स्नेह हो सकता है। परन्तु मेरा ऐसा मानना है कि हिन्दी में विज्ञान लेखन की शैली सरल तथा बोधगम्य होनी चाहिए।

प्रदीप कुमार, दिल्ली

आपकी उच्चस्तरीय लोकप्रिय मासिक पत्रिका ‘इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए’ का फरवरी 2015 अंक प्राप्त हुआ। आभारी हूँ। इस अंक में काफी विविधता देखने को मिली। सभी लेख या यों कहिए कि पूरा का पूरा अंक रोचक, ज्ञानवर्धक और चिंतनपरक सामग्रियों से भरपूर है। पहले लेख ‘सूर्य को रोकने और प्रकाश फैलाने वाले वैज्ञानिक’ से प्रारंभ होकर ‘गैलीलियो’, ‘हरित भवन और पर्यावरण की अनुकूलता’, ‘स्मार्ट सिटी और साइबर हमले’, ‘इंटरनेट की तेज रफ्तार’, ‘बरमूडा का चौथा कोण’, ‘टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में कॅरियर’ और सभी स्थाई स्तंभ अत्यन्त उपयोगी हैं। एक अंक में इतनी विविध सामग्री ‘गागर में सागर’ की युक्ति चरितार्थ करती है। अंत में ‘अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम माँ’ का उल्लेख किए बिना नहीं रह सकता। प्रथम अंतरिक्ष महिला यात्री अन्ना ली फिशर और अन्य अंतरिक्ष महिला यात्रियों को सलाम। पूरे अंक में आप और आपकी टीम का संपादन कौशल साफ झलकता है। बधाई और साधुवाद स्वीकारें।

प्रेमचन्द्र श्रीवास्तव, इलाहाबाद