आईसेक्ट समाचार


आईसेक्ट और इंडिया टुडे का एजुकेशन समिट

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित इंडिया टुडे एजुकेशन समिट 2015 ने शिक्षा के क्षेत्र में आ रहे बदलावों और जरूरतों की ओर ध्यान आकर्षित किया. समिट को सरकारी और निजी क्षेत्र समेत ग्लैमर दुनिया की कई हस्तियों ने भी संबोधित किया। वक्ताओं की बातों का निचोड़ यह निकल कर आया कि शिक्षा क्षेत्र की बेहतरी के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा। समिट में शिक्षा से जुड़े पांच विषयों पर दिग्गजों ने अपनी राय रखी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शिक्षा व्यवसाय नहीं, मिशन है और इस पर सब का अधिकार है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार इस दिशा में आगे बढ़ते हुए कमजोर वर्गों से आने वाले छात्रों को संसाधन उपलब्ध करवा रही है। उन्होंने सरकार और निजी क्षेत्र के मिलकर काम करने पर भी जोर दिया।

चौहान ने समिट में शिक्षा के क्षेत्र के निजी खिलाड़ियों का हौसला भी बढ़ाया। उन्होंने साफ कहा कि निजी क्षेत्र से यह अपेक्षा रखना कि उसकी ओर से सभी को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करवाई जाएगी या शिक्षा पर आने वाला खर्च छात्र से नहीं वसूलने की उम्मीद करना, ज्यादती होगी। इसलिए प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि निजी कॉलेजों में पढ़ रहे गरीब छात्रों की पूरी फीस भी वह खुद देगी। उन्होंने कहा, ‘व्यावसायिक शिक्षा की फीस महंगी होने की वजह से छात्रों को बैंक से कर्ज लेना पड़ता है। कई बार गरीब परिवारों के छात्रों को बैंक लोन इसलिए नहीं मिल पाता क्योंकि उनके अभिभावक बैंक गारंटी नहीं दे पाते। इसलिए हमने प्रदेश में व्यवस्था की है कि इन बच्चों की लोन गारंटी राज्य सरकार लेगी। ऐसा करने से सरकार पर बड़ी संख्या में तकनीकी उच्च शिक्षण संस्थान खोलने का भारी खर्च तुरंत नहीं आएगा।’
इस मौके पर मौजूद नगरीय प्रशासन और विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मध्य प्रदेश शिक्षा के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है। सरकार की कोशिश है कि शिक्षा के विस्तार के साथ ही उसकी गुणवत्ता के कार्य भी किए जाएं। इन प्रयासों में निजी निवेशकों की भागीदारी, उनके सहयोग और सुझावों को सरकार खुले मन से स्वीकार रही है। उन्होंने कहा, ‘पहले विदेशों में भोपाल की पहचान गैस त्रासदी की घटना से होती थी। लेकिन पिछले नौ वर्ष में राज्य सरकार के प्रयासों की वजह से प्रदेश की नई पहचान बनी है। अब लोग कहते हैं कि मध्य प्रदेश वह राज्य है जहाँ का मुख्यमंत्री आम आदमी के रूप में जनकल्याण के कार्य कर रहा है।’

शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के सवाल पर सभी वक्ता एकमत थे। ‘शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागिदारी’ विषय पर सत्र में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा, ‘सरकार शिक्षा के क्षेत्र में ठोस प्रयास कर रही है ताकि बच्चे दूसरे बड़े शहरों का रुख न करें।’ हालांकि इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा में नियंत्रण की जरूरत पर भी जोर दिया और कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो मनमानी शुरू हो जाएगी। गुप्ता ने कहा कि शिक्षा ऐसा क्षेत्र है जहां निरंतर सुधार की आवश्यकता है और यह काम चंद साल में नही किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा, ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) से मिलने वाली शिक्षा से मैं फिलहाल संतुष्ट नही हूं। इसमें अभी काफी कुछ करने की जरूरत है।’

निजी क्षेत्र शिक्षा या स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैल्यू एडिशन तो कर सकता है लेकिन 90 फीसदी काम सरकार को ही करना होगा, यह कहना था प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) प्रवीर कृष्ण का। उन्होंने कहा, ‘निःशुल्क सेवा गुणवत्ता के साथ कैसे उपलब्ध कराएं यह सरकार के लिए चुनौती है. केंद्र और राज्य सरकार दोनों की ही मंशा है कि लोगों को गुणवत्ता युक्त सेवा दी जाए।’ इसी सत्र में शामिल एआइएसईसीटी यूनिवर्सिटी के चांसलर संतोष चौबे ने बताया कि पहले सूचना प्रौद्योगिकी की पढ़ाई सिर्फ अंग्रेजी में होती थी लेकिन देश में पहली बार हमने हिंदी में इसके कोर्स शुरू किए। इससे छोटे शहरों के उन बच्चों को फायदा हुआ, जो अंग्रेजी नहीं जानने की वजह से आइटी की पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। चौबे ने कहा, ‘आज अन्य प्रदेशों के बच्चे भी मध्य प्रदेश में पढ़ाई करने आ रहे हैं. हमारी यूनिवर्सिटी में ही 19 राज्यों के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।’ उन्होंने पीपीपी के माध्यम से इनोवेशन पर जोर दिया। करियर की पहली सीढ़ी होती है शिक्षा। समिट में ग्लैमर और क्रिकेट की दुनिया के जाने-माने चेहरों ने भी अपने अनुभव साझा किए। ‘शिक्षा-एकेडमिक्स का एक और पहलू’ विषय पर मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चीफ कोच और पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी अमेय खुरासिया ने कहा कि शिक्षा को व्यवसाय नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जरूरत है कि आप में जुनून हो। हमें हमेशा अपने ख्वाब पूरा करने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।’ तनु वेड्स मनु और रांझणा फेम अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने इस बात पर जोर दिया कि बॉलीवुड जब थिएटर को मौका देगा तभी तस्वीर बदलेगी। उन्होंने कहा, ‘माना कि हर कोई दीपिका या शाहरुख नहीं बन सकता लेकिन हर किसी को अपने ढंग से मेहनत करनी चाहिए।’ अभिनेता सौरभ शुक्ला ने दिल खोलकर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया, ‘मैं बहुत ही खराब स्टुडेंट हुआ करता था। आखिरकार तंग आकर पोस्ट ग्रेजुएशन में ठान लिया कि अब मुझे अभिनय के क्षेत्र में ही जाना है। इस तरह मैं एकदम अलग किस्म की फील्ड में चला गया, जो किसी यूनिर्विसटी के तहत नहीं आती थी।’

शुक्ला ने सेंसरशिप से जुड़े ढेरों सवालों का जवाब कुछ यूं दिया, ‘कीचड़ में ही कमल उगता है। कमल दिखाना है तो कीचड़ भी दिखाना होगा। अगर आप फिल्मों में अपशब्दों को काटते हैं तो हिंदी साहित्य की कई अच्छी किताबें बैन करनी पड़ेंगी जैसे काशी का अस्सी।’ पहली जरूरत गुणवत्ता अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुणा शर्मा ने शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दिया। ‘शिक्षा-कौशल विकास, रोजगार निर्माण’ विषय पर उन्होंने कहा कि सैकड़ों ऐसे शिक्षण संस्थान खुल रहे हैं जहां से निकल रहे बच्चे किसी काम के नहीं होते। ऐसे संस्थानों पर नियंत्रण की जरूरत है। राष्ट्रीय प्रशासन और शहरी प्रबंधन संस्थान के निदेशक एच.एम.मिश्र ने शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने को समय-समय पर पाठ्यक्रम में बदलाव की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि यह काम सरकार का नहीं है, नियामक संस्थाओं को विशेषज्ञों की मदद से इसे अंजाम देना चाहिए।

 

पीएच.डी. उपाधि

स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, भोपाल के ई.सी. विभाग के प्रो. संजीव कुमार गुप्ता को बरकतुल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल ने इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में पीएच.डी. उपाधि प्रदान की हैं। इनके शोध का विषय ”इनहैन्सिग लाईफ स्पान आफ हैट्रोजिनियस वायरलैस सैंसर नेटवर्क थ्रू इनर्जी इफिशिएंट क्लसटरिंग टेक्निक्स“ था। उन्होंने अपना शोध बी.यू.आई.टी. बी.यू. की प्रोफेसर डॉ. पूनम सिन्हा के मार्गदर्शन में पूरा किया। कॉलेज प्रबंधन ने उनकी इस सफलता पर बधाई दी हैं।

औद्योगिक भ्रमण

स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के मैकेनिकल तृतीय वर्ष के छात्रों ने मण्डीदीप औद्योगिक क्षेत्र स्थित मध्य भारत की अग्रणी फोम निर्माता कम्पनी सर्वा फोम का भ्रमण किया, यहाँ छात्रों ने विभिन्न प्रकार के फोम तथा उनके निर्माण में प्रयुक्त होने वाली विधियों एवं मशीनों का ज्ञान प्राप्त किया। इस दौरान कम्पनी के प्रतिनिधि श्री भावेश श्रीवास्तव और श्री एस.वर्गीस ने छात्रों की जिज्ञासा का समाधान किया। यह आयोजन प्रो. निलेश मोहन और प्रो. केशव के मार्गदर्शन मे आयोजित किया गया। विद्यार्थियों के लिए यह भ्रमण लाभदायक रहा। 

शिविर का आयोजन

स्कोप कॉलेज आफ इंजीनियरिंग में तीन दिवसीय उद्यमिता जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य तकनीकी छात्रों को स्वरोजगार के विषय में प्रेरित करना था, ताकि वे शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करें एवं देश के विकास में अपनी भागीदारी निभाऐं। तीन दिन तक चले इस शिविर में छात्रों का मार्गदर्शन विशेषज्ञों ने किया। छात्रों को विभिन्न सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई। शिविर के समस्त प्रतिभागियों को उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद और डी.एस.टी. द्वारा प्रमाण-पत्र भी प्रदान किये गये। इस अवसर पर आईसेक्ट के डॉयरेटर श्री सिद्धार्थ चतुर्वेदी, स्कोप कॉलेज के प्रिन्सिपल डॉ. डी.एस.राघव एवं ई.डी.आई., भोपाल के संचालक श्री विनय वर्मा एवं एन.आई.टी.टी.आर से डॉ. पराग दुबे उपस्थित थे।