विज्ञान


किताबों के आइने में ब्रह्मांड दिखता है

 
देवेन्द्र मेवाड़ी
 
हमारे समय के सबसे चर्चित भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्होंने एक ओर तो ब्रह्मांड के नए रहस्यों का अनावरण किया और दूसरी ओर, ब्रह्मांड के बारे में जो ज्ञान उन्हें मिला उसे उन्होंने आम आदमी तक पहुंचाने के लिए बेहद सरल भाषा और रोचक शैली में किताबें भी लिखीं। यही कारण है कि जहां ब्रह्मांड में ‘हॉकिंग प्रभाव’ की चर्चा रही, वहीं पृथ्वी पर भी विज्ञान लेखन और प्रकाशन पर गंभीर ‘हॉकिंग प्रभाव’ पड़ा। ऐसा पहली बार हुआ कि दुनिया में विज्ञान की एक पुस्तक को एक करोड़ से भी अधिक पाठकों ने खरीदा और वह विश्व की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों की सूची में शामिल हो गई। इस तरह समय के संक्षिप्त इतिहास को पाठकों के सामने रखने वाली उनकी पुस्तक ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ ने प्रकाशन का नया इतिहास रच दिया। 
यही कारण है कि वे सैद्धांतिक भौतिकी के जितने प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे, उतने ही सफल विज्ञान लेखक भी थे। उनकी किताबों को पढ़ना, उनकी नज़र से विशाल और रहस्यमय ब्रह्मांड को देखने समझने की कोशिश करना है। यह उन्हीं के सोच का कमाल था कि जिस विज्ञान को इतना दुरूह और जटिल बताया जाता है, उसे उन्होंने बेहद आसान तरीके से अपने पाठकों को समझा दिया। अनुमान तो यह भी है कि विश्व भर में प्रत्येक ७५० लोगों में से किसी न किसी की पुस्तकों की अलमारी में ‘अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’ की एक प्रति जरूर है! शायद विज्ञान की यह पहली पुस्तक है जिसे इतनी बड़ी संख्या में विश्व भर के पाठकों ने गले लगाया है। इसका विश्व की ४० से भी अधिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस पुस्तक के प्रकाशन से यह भ्रम भी टूटा कि विज्ञान की पुस्तकें आम लोग नहीं खरीदते और यह भी साबित हो गया है कि पाठक विज्ञान की पुस्तक भी प्रेम से खरीद सकते हैं बर्शेते वह उनकी समझ में आने वाली भाषा और रोचक शैली में लिखी गई हो। 
जानते हैं, क्या है इस पुस्तक में? इसमें समय का इतिहास बताया गया है जो स्वयं हमारे विशाल ब्रह्मांड का भी इतिहास है। इसमें दार्शनिक अरस्तू से लेकर प्रारंभिक वैज्ञानिकों और आधुनिक खगोल विज्ञानियों के ब्रह्मांड के बारे में व्यक्त किए गए विचारों की व्याख्या की गई है। महान दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि हर चीज केवल चार मूल तत्वों से बनी है। उसके बाद खगोल वैज्ञानिक टालेमी ने आसमान में अलौकिक गोलों की बात की। वे दोनों यह समझते रहे कि ब्रह्मांड के केंद्र में पृथ्वी है। वह स्थिर रहती है और सूर्य तथा ग्रह उसका चक्कर लगाते हैंं। यह भ्रम तोड़ा खगोल वैज्ञानिक निकोलस कोपर्निकस ने। उसने कहा कि केंद्र में सूर्य है और पृथ्वी तथा ग्रह उसके चारों ओर घूमते हैं। बाद में खगोल वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली ने अपनी दूरबीन बनाई और उससे आकाशीय पिंडों को देख कर कहा कि वे अलौकिक नहीं बल्कि हमारी पृथ्वी की तरह के ही पिंड हैं। स्टीफन हॉकिंग ने इस किताब में बताया है कि जिस तरह पृथ्वी सूर्य केे चारों ओर घूमती है उसी तरह हमारा सूर्य भी तारों भरी आकाशगंगा मंदाकिनी का चक्कर लगा रहा है। वे कहते हैं कि हमारी आकाशगंगा की तरह ब्रह्मांड में लाखों-लाख गैलेक्सी यानी मंदाकिनियाँ हैं। हमारी पृथ्वी तो विशाल आकाशगंगा में मात्र एक धूल के सूक्ष्म कण के समान है। वे बताते हैं कि पृथ्वी पर न्यूटन आए और उन्होंने सार्वभौमिक गुरूत्वाकर्षण का सिद्धांत सामने रख दिया। इससे ब्रह्मांड को समझने की नई दृष्टि मिल गई। फिर आइंस्टाइन आए और उन्होंने आपेक्षिकता का व्यापक सिद्धांत यानी जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी सामने रखा जिससे यह पता लगाने में मदद मिली कि हमारा ब्रह्मांड बिग बैंग यानी महाविस्फोट से बना। उन्होंने अनंत द्रव्यमान की विलक्षणता और वक्रता और आयामरहित एक सूक्ष्म बिंदु की बात की। स्टीफन हॉकिंग ने क्वांटम यांत्रिकी और आपेक्षिकता के व्यापक सिद्धांत की समझ से अपना ब्लैक होल का सिद्धांत सामने रखा। इन दोनों सिद्धांतों पर गहन रूप से विचार करने के बाद हॉकिंग कहते हैं कि प्रारंभ में ब्रह्मांड में कोई सिंगुलेरिटी यानी विलक्षणता नहीं थी। 
इस किताब में उन्होंने यह भी कहा कि अब भौतिक विज्ञानियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे ब्रह्मांड के जन्म के बारे में अब तक जो भी सिद्धांत सामने आए हैं, उनका एकीकरण करके कोई एक एकीकृत सिद्धांत यानी यूनीफाइड थ्योरी सामने रखंे। वे यह भी कहते हैं कि धर्म पुरातन विचारों से चिपका रहता है जिसकेे कारण विज्ञान की नई खोजों की राह कठिन हो जाती है। इसलिए, क्योंकि विज्ञान किसी मान्यता की नहीं बल्कि तर्क और प्रमाणों की नींव पर खड़ा होता है।  
 
समय का संक्षिप्त इतिहास लिखने के बाद, आइए स्वयं स्टीफन हॉकिंग के संक्षिप्त इतिहास पर नज़र डालें। उनकी यह किताब ‘माइ ब्रीफ हिस्ट्री’ उनके अपने जीवन के साथ ही उस ब्रह्मांड के बारे में है जिसे अपने जीवनकाल में उन्होंने समझने की कोशिश की। यह उनका आत्मकथात्मक संस्मरण है जिसमें उनके जन्म, बचपन, शिक्षा से लेकर ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने की दिशा में किए गए उनके शोध कार्य का वर्णन किया गया है। इस किताब में उन्होंने अपनी लाइलाज बीमारी के बारे में भी विस्तार से बताया है। उन्हें स्वयं आश्चर्य होता है कि उनका जन्म महान खगोल वैज्ञानिक गैलीलियो की मृत्यु के ठीक ३०० साल बाद हुआ। वे कहते हैं, हालांकि उस दिन यानी ८ जनवरी १९४२ को हालांकि दुनिया में लगभग २ए००ए००० बच्चों का जन्म हुआ लेकिन उन्हें नहीं पता कि उनमें से कोई खगोल वैज्ञानिक भी बना की नहीं। 
उनके पिता का नाम फ्रैंक हॉकिंग और मां का नाम आइसोबेल हॉकिंग था। उन्हें याद है कि उनका परिवार विक्टोरियन डिजायन के एक ऊंचे मकान में रहता था जो द्वितीय विश्व युद्ध में बमबारी के डर के कारण उनके माता-पिता को सस्ता मिल गया था। माता-पिता की आमदनी बहुत मामूली थी। मां टैक्स इंस्पेक्टर थीं और बाद में सेक्रेटरी हो गईं। पिता ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डाक्टरी की परीक्षा पास की थी और वे उष्णकटिबंधी रोगों के विशेषज्ञ थे। उनके दादा एक सामान्य किसान थे जो पैसा बहुत सोच-समझ कर खर्च करते थे। वे लिखते हैं कि सर्दी में घर को गर्म रखने के खर्चीले इंतजाम के बजाए ठंड से बचने के लिए वे अपने कपड़ों के ऊपर और कपड़े पहन लेते थे। स्टीफन हॉकिंग बहुत जिज्ञासु प्रवृत्ति के विद्यार्थी थे। पढ़ाई के दिनों में उन्हें ट्रेन के नमूने और दूसरे खिलौने बहुत पसंद थे। नाव चलाने में भी उन्हें बहुत मज़ा आता था। उन्होंने सेंट एलबेंस में पढ़ा जहां उन्हें एक सामान्य छात्र माना जाता था। बाद में वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में गए लेकिन वहां भी पढ़ाई का ढीला-ढाला हिसाब था। वे लिखते हैं कि वहां तीन साल के दौरान उनके कम से कम १ए००० घंटे बेकार हो गए। आक्सफोर्ड में पढ़ाई के आखिरी वर्ष में उनके शरीर में एक खतरनाक बीमारी के लक्षण उभरने लगे। वे वहां सीढि़यों पर दो-तीन बार गिर भी गए। 
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से प्रथम श्रेणी में डिग्री अर्जित करके वे पीएच.डी। के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में चले गए। तब वे २१ वर्ष के थे और उनके शरीर में बीमारी के लक्षण बढ़ते गए। डाक्टरी जांच कराई तो पता लगा कि उन्हें मल्टिपल स्क्लेरोसिस बीमारी है। बाद में उन्हें पता लग गया कि उन्हें एमियोट्रोफिक लेटरलस्क्लेरोसिस यानी लोऊ गेरिग बीमारी हो गई है। उन्हें लग गया कि यह बीमारी बढ़ती जाएगी और डाक्टर भी कुछ नहीं कर पाएंगे। इस बात से उन्हें बहुत धक्का लगा और पीएच.डी। करने का सारा उत्साह खत्म हो गया। स्टीफन हॉकिंग लिखते हैं कि वे दिन उनके लिए बहुत निराशा और उदासी के दिन थे। अस्पताल में उनके बगल के बिस्तर पर एक लड़का रक्त कैंसर से पीडि़त था जिसने उसकी जान ले ली। वे लिखते हंै, जब भी वे दुखी होते तो उस लड़के को याद कर लेते। 
लेकिन हिम्मती स्टीफन हॉकिंग जल्दी ही उस उदासी और अवसाद से बाहर निकले और उनमें जीने की लालसा बढ़ गई। उन्हीं दिनों उनका परिचय जेन वाइल्ड नामक लड़की से हुआ और उससे प्यार हो गया। वे सोचने लगे कि अगर शादी करूंगा तो नौकरी होनी चाहिए, नौकरी तब मिलेगी जब अपने पास पीएच.डी। की डिग्री होगी। इसलिए वे बड़ी लगन के साथ पीएच.डी। की पढ़ाई में जुट गए। बाद में उन्होंने जेन वाइल्ड से शादी कर ली जिसने उन्हें भरपूर प्यार दिया और गंभीर बीमारी में भी उनको संभाला। उनके तीन बच्चे हुए- दो बेटियां और एक बेटा।  
अपने इसी शोध कार्य के दौरान स्टीफन हॉकिंग ब्रह्मांड की पहेलियां सुलझाने में व्यस्त हो गए। उन्होंने इस सिद्धांत को नकार दिया कि ब्रह्मांड तो आदिकाल से ऐसा ही है और ऐसा ही रहेगा। यह ब्रह्मांड का स्टेडी-स्टेट सिद्धांत कहलाता है। खगोल विज्ञानी फ्रेड हायल और उनके शिष्य डॉ। जयंत विष्णु नार्लीकर इसी सिद्धांत के समर्थक थे। स्टीफन हॉकिंग ने कहा कि ब्रह्मांड बिग बैंग यान महाविस्फोट से बना है और ब्लैक होल इतने काले भी नहीं है कि उनसे कुछ भी बाहर निकले। उन्होंने अपना सिद्धांत सामने रखा कि ब्लैक होल से विकिरण बाहर निकलता है। यह हॉकिंग प्रभाव कहलाता है। 
उन्होंने काल्पनिक समय की भी परिकल्पना सामने रखी और कहा कि ब्रह्मांड केे जन्म से पूर्व समय की बात करना फ़जूल है। यह पूछने का कोई अर्थ नहीं है कि ब्रह्मांड के जन्म से पहले क्या था। यह तो ऐसा ही सवाल है जैसे दक्षिणी ध्रुव के दक्षिण में क्या है! उनकी बीमारी बढ़ती गई और धीरे-धीरे वे इतने अशक्त हो गए कि केवल व्हील चेयर तक ही सीमित रह गए। वे केवल अपना दाहिना गाल हिला कर तथा पलकें झपका कर पर्सनल कम्प्यूटर और वाइस सिथेंनाइजर से अपनी बात कह सकते थे। तभी उनके वैवाहिक जीवन में वह अजीब मोड़ आया। उनकी पत्नी जेन वाइल्ड चर्च के एक संगीतकार को घर में ले आई ताकि हॉकिंग के ना रहने पर उससे शादी कर सके। वे लिखते हैं कि वे मना कर सकते थे लेकिन उन्हें पता था कि जल्दी ही मृत्यु हो जाएगी, तब बच्चों की देखभाल के लिए किसी की जरूरत तो पड़ेगी ही। बाद में उन्होंने अपनी देखभाल करने वाली नर्स इलेने मैसन से शादी कर ली लेकिन वह शादी भी आगे नहीं चल सकी। उन्होंने एक बार फिर जेन से शादी कर ली। इस किताब को स्टीफन हॉकिंग का विदा गीत कहा जा सकता है। उन्होंने अपने जीवन में गंभीर बीमारी के बावजूद अदम्य साहस और अनुकरणीय जीवट का भी उदाहरण प्रस्तुत किया। 
यह तो रहा उनका अपना संक्षिप्त इतिहास, लेकिन समय का संक्षिप्त इतिहास लिखने के बाद उन्होंने उसी क्रम में विज्ञान की अपनी दूसरी पुस्तक लिखी ‘द यूनिवर्स इन अ नटशैल’। ‘द बीफ हिस्ट्री आफ टाइम’ जहां सीधे नैरेशन के रूप में लिखी गई है, वहीं इस पुस्तक में उन्होंने तस्वीरों और रेखाचित्रों का भरपूर उपयोग किया है। इससे विषय को समझाने में काफी मदद मिली है। इस पुस्तक में उन्होंने शून्य से निकली अकूत ऊर्जा से बने विशाल ब्रह्मांड के बारे में बताया है जिसमें करीब २०० अरब गैलेक्सी यानी मंदाकिनियां हैं, उनमें से प्रत्येक मंदाकिनी में औसतन २०० अरब तारे हैं और, यह कम से कम १३ण्७ अरब प्रकाश वर्ष की दूरी तक फैला हुआ है। 
इस पुस्तक की शुरूआत में उन्होंने बहुत आसान तरीके से आधुनिक ब्रह्मांड विज्ञान के सिद्धांत समझाए हैं जैसे सुपर सिमेंट्री, स्ट्रिंग सिद्धांत, सुपर स्ट्रिंगस, एम-थ्योरी आदि। यह भी उन्होंने शुरू में ही बता दिया है कि आइंस्टाइन के १९०५ में सामने आए स्पेशल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी यानी आपेक्षिकता के सिद्धांत और फिर १९१५ में सामने आए जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी यानी आपेक्षिकता के व्यापक सिद्धांत ने ब्रह्मांड की पुरानी परिभाषा ही बदल दी। इन सिद्धांतों के सहारे ब्रह्मांड वैज्ञानिकों को नए सिरे से ब्रह्मांड की रचना के बारे में विचार करना पड़ा। आपेक्षिकता के अपने व्यापक सिद्धांत में आइंस्टाइन ने बताया कि पदार्थ और ऊर्जा एक ही चीज के दो रूप हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हमारे ब्रह्मांड में प्रकाश की गति सबसे तेज है। आइंस्टाइन ने एक और भ्रम तोड़ा। उन्होंने ईथर की परिकल्पना को नकार दिया। पदार्थ के ऊर्जा और ऊर्जा के पदार्थ में बदलने का जो रहस्य उन्होंने बताया उससे आगे चलकर परमाणु बम बनाना और परमाणु शक्ति का सदुपयोग करना संभव हो गया। 
अपने जनरल रिलेटिविटी के सिद्धांत में उन्होंने बताया कि गुरूत्वाकर्षण और एक्सिलरेशन यानी त्वरण एक ही चीज हैं। द्रव्यमान के निकट आने पर स्पेस यानी दिक् में वक्रता आ जाती है। इस सिद्धांत से आधुनिक ब्रह्मांड विज्ञान को आगे बढ़ाने में मदद मिली। इसी से बिग बैंग यानी महाविस्फोट, ब्लैक होल, ग्रेविटेशनल लेंसिंग, दिक्-काल का जन्म तथा ब्रह्मांड के फैलने के रहस्य को भी समझा गया। अपनी इसी पुस्तक में स्टीफन हॉकिंग ने यह भी बताया है कि ब्लैक होल के निकट स्पेस यानी दिक् में चरम वक्रता आ जाती है और समय रुक जाता है। 
वे प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक पेन रोज के साथ यह परिकल्पना प्रस्तुत करते हैं कि ब्रह्मांड का जन्म महाविस्फोट की एकमात्र घटना से हुआ। विशाल तारों के बारे में उन्होंने कहा कि उनका द्रव्यमान धीरे-धीरे इतना घना हो जाता है कि वह सब कुछ अपनी और खींचने लगता है, यहां तक कि उसके पास से प्रकाश भी नहीं लौट पाता। वहां समय भी शून्य हो जाता है। वे कहते हैं कि इक्कीसवीं सदी में आपेक्षिकता के सिद्धांत और क्वांटम यांत्रिकी के मेल से खगोल वैज्ञानिकों को कोई नया सिद्धांत सामने रखना चाहिए। वे आशा व्यक्त करते हैं कि खगोल वैज्ञानिक इस दिशा में काम कर रहे हैं और संभव है कल ब्रह्मांड के बारे में कोई एकदम नया सिद्धांत सामने आ जाए।     
एक और पुस्तक है ‘ब्लैक होल एंड बेबी यूनिवर्सेस’। यह पुस्तक उनके वैज्ञानिक लेखों, व्याख्यानों और आत्मकथात्मक वृत्तांतों का संकलन है। वे एक मजेदार कल्पना करते हैं कि हो सकता है जो अंतरिक्षयान या अन्य खगोलीय चीजें ब्लैक होल के निकट जाती हों, वे उसके भीतर से हो सकता है उस पार किसी और बेबी ब्रह्मांड में पहुंच जाती हों! ऐसा बेबी ब्रह्मांड हो सकता है हमारे ब्रह्मांड के दिक्-काल का ही विस्तार हो। हो सकता है यह बेबी ब्रह्मांड काल्पनिक समय में हमारे असली समय के राइट एंगल पर मौजूद हो जहां ब्रह्मांड का कोई आदि और अंत नहीं होगा। इस पुस्तक में वे फिर खगोल वैज्ञानिकों से एक समग्र, एकीकृत ‘थ्योरी ऑफ एवरिथिंग’ सामने रखने का आग्रह करते हैं। साथ ही इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी बताते हैं। ब्रह्मांड के बारे में इतना सब कुछ बताने के बाद वे व्यक्तिगत आजादी और हथियारों पर रोक की मुखालफत करते हैं। अंत में वे अपनी गंभीर बीमारी के बारे में भी बताते हैं ।
‘द थ्योरी ऑफ इवरिथिंग’ में उनके व्याख्यान संकलित हैं। इस पुस्तक में वे अपने पाठकों को गणित की जटिल पहेलियां बहुत आसान और रोचक तरीके से समझाते हैं। वे ब्रह्मांड के बारे में प्राचीन और आधुनिक सिद्धांतों का वर्णन करते हैं। अरस्तू, आगस्टाइन, न्यूटन, आइंस्टाइन, हब्बल और फेमैन जैसे नामी वैज्ञानिकों के विचारों को सामने रखते हैं। बिग बैंग यानी महाविस्फोट, ब्लैक होल और स्पेस-टाइम यानी दिक्-काल के बारे में भी बताते हैं। अपनी इस पुस्तक में भी वे सभी सिद्धांतों को मिला कर एक एकीकृत सिद्धांत की जरूरत पर जोर देते हैं और कहते हैं कि अगर ऐसा एकीकृत सिद्धांत सामने आ जाए तो उससे ब्रह्मांड के सभी रहस्यों का पता लग सकेगा। वे ब्रह्मांड के जन्म और क्वांटम यांत्रिकी की भी चर्चा करते हैं। यह भी कहते हैं कि अगर यूनिफाइड थ्योरी ऑफ एवरिथिंग यानी एकीकृत सिद्धांत सामने आ जाए तो ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में विश्व की अनेक सभ्यताओं की धार्मिक मान्यताएं ध्वस्त हो जाएंगी। जिस दिन यह पता लग गया कि ब्रह्मांड कैसे बना तो धार्मिक मान्यताओं और विचारों का झूठ सामने आ जाएगा। 
वे इस पुस्तक में इस बात पर भी जोर देते हैं कि सैद्धांतिक भौतिकी की बातें सरल तरीके से आम लोगों को समझाई जानीं चाहिए। तब वैज्ञानिक ही नहीं, आम लोग भी उस जानकारी को समझेंगे और भ्रम दूर होंगे। स्टीफन हॉकिंग ने यह भी साफ-साफ कहा है कि ब्रह्मांड की रचना किसी सृजनहार ने नहीं की है। अगर ब्रह्मांड अपने आप में पूर्ण है और उसकी कोई सीमा नहीं है तो न उसे रचा जा सकता है, न उसका विनाश किया जा सकता है। अगर यह सच है तो फिर सृजनहार कैसे हो सकता है? वे कहते हैं कि ब्रह्मांड के फैलने के सिद्धांत को तो बहुत पहले सत्रहवीं सदी के उत्तरार्द्ध, अठारहवीं या उन्नीसवीं सदी में भी समझ लिया गया होता लेकिन ‘ब्रह्मांड तो ईश्वर ने बनाया है’ का धार्मिक विश्वास इतना गहरा था कि बीसवीं सदी तक भी लोग ब्रह्मांड के सच को समझने से कतराते रहे। यह तो आज इक्कीसवीं सदी में शिद्दत से महसूस किया जा रहा है कि ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है। अब चलिए, बच्चों की दुनिया में चलते हैं। स्टीफन हॉकिंग जैसे महान वैज्ञानिक ने बड़े मन से बच्चों के लिए विज्ञान की पुस्तकें लिखीं। इनमें से कुछ पुस्तकें उन्होंने अपनी बेटी लूसी के साथ लिखीं। बच्चों के लिए लिखी गई उनकी पुस्तकों में से पहली पुस्तक है ‘जॉर्जेज सीक्रेट की टू द यूनिवर्स’। इसमें वैज्ञानिक तथ्य भी हैं और मजेदार साइंस फिक्शन भी। उपन्यास के पात्र हैं- दस वर्ष का जॉर्ज, उसकी दोस्त ऐनी, जॉर्ज के माता-पिता, ऐनी के पिता इरिक, जॉर्ज का प्यारा पालतू सुअर फ्रेडी। इनके अलावा कहानी में एक सुपर कम्प्यूटर ‘कॉस्मोस’ भी है। जॉर्ज के माता-पिता तकनीकों के खिलाफ हैं और उनका जमकर विरोध करते हैं। कहते हैं कि टेक्नॉलॉजी इन दुनिया को बरबाद कर रही है। उनके घर में न कार है, न कम्प्यूटर और न फोन। यहां तक कि वे रोशनी के लिए बल्व भी नहीं जलाते बल्कि मोमबत्ती की रोशनी से काम चलाते हैं। माता-पिता का बहुत मन है कि जॉर्ज एक आर्गेनिक खेती करने वाला किसान बने, लेकिन जॉर्ज चाहता है कि उसके पास एक कम्प्यूटर होना चाहिए। उसका प्यारा फ्रेडी उसके माता-पिता को बिल्कुल पसंद नहीं है। 
एक दिन फ्रेडी अचानक गायब हो जाता है। जॉर्ज सोचता है कि वह पड़ोस में गया होगा। वह उसे ढूंढने निकलता है तो देखता है कि घर के पिछवाड़े एक घना मिनी अमेजॉन जंगल है। वह उसमें जाता है तो उसे वहां ऐनी, उसके पिता इरिक और उनका कम्प्यूटर कॉस्मोस मिलता है। यह सब देखकर वह बहुत खुश हो जाता है। उनका कम्प्यूटर तो बहुत ही मजेदार है और बोल भी सकता है! कम्प्यूटर पर उसे नीहारिका के बादल से एक तारे के जन्म और बाद में उस तारे की मृत्यु का दृश्य दिखाई देता है। वह समझ जाता है कि तारे कैसे जन्म लेते हैं और उनकी मृत्यु कैसे होती है। ऐनी और इरिक उससे कहते हैं कि इस कम्प्यूटर के बारे में तुम किसी को मत बताना। लेकिन, अगले दिन अपने स्कूल में वह ब्रह्मांड के रेखाचित्र बनाने लगता है। उसके शिक्षक मि। क्रीपर को यह देखकर आश्चर्य होता है। जब वह घर को लौटता है तो उसके स्कूल का बिगडै़ल विद्यार्थी रिंगो अपने साथियो के साथ जॉर्ज पर टूट पड़ता है। वह जॉर्ज को दीवाल पर पटकने ही वाला होता है कि अचानक वहां एक छोटा-सा अंतरिक्ष यात्री आ जाता है। वह कराटे के दांव से जॉर्ज को बचा लेता है और बताता है कि मैं एलियन दुनिया से आया हूं। 
रिंगो और उसके साथी वहां से भाग जाते हैं। बाद में जॉर्ज यह देखकर चकित रह जाता है कि वह अंतरिक्ष यात्री और कोई नहीं बल्कि तो उसकी दोस्त ऐनी है! वह ऐनी से पूछता है कि तुमने अंतरिक्ष यात्री की पोशाक क्यों पहनी है तो वह कहती है कि वह तो अपने पिताजी के साथ अंतरिक्ष की सैर पर जाती रहती है। जॉर्ज को विश्वास ही नहीं होता। तब वे कॉस्मोस के पास जाते हैं जो कामेट यानी धूमकेतु का एक पोर्टल खोलता है। वे लोग अंतरिक्ष पोशाक पहन कर उसके भीतर कूद जाते हैं और धूमकेतु पर सवार होकर सैर करने लगते हैं। उस सैर के दौरान वे खूबसूरत और विशाल ग्रह शनि और बृहस्पति को भी देखते हैं। फिर वे धरती पर लौट आते हैं। अगले दिन जॉर्ज के स्कूल में विज्ञान प्रतियोगिता होती है। जॉर्ज उसमें एक पत्थर का टुकड़ा रख देता है जिसे वह शनि ग्रह की रिंग में से उठा लाया था। इस बीच रिंगो और उसके साथी ऐनी के घर पहुंच कर चुपके से कॉस्मोस कम्प्यूटर को नया कमांड दे देते हैं। इरिक कॉस्मोस से नया पोर्टल खोलने को कहता है कि तभी कॉस्मोस के भीतर एक ब्लैक होल दिखाई देता है जो इरिक को भीतर खींच लेता है। बाद में एनी, उसकी मां सूसन और जॉर्ज इरिक को ब्लैक होल में से बचा लेते हैं। यह एक रोमांचक बाल उपन्यास है। स्टीफन हॉकिंग और उनकी बेटी लूसी ने इस विज्ञान गल्प के सहारे बाल पाठकों को ब्रह्मांड की काफी जानकारी दी है। 
इसी सीरीज में उनकी दूसरी पुस्तक हैः ‘जॉजेज कॉस्मिक ट्रेजर हंट’। यह उपन्यास भी बच्चों को अंतरिक्ष की यात्रा कराता है। कहानी शुरू होती है एक फैंंसी ड्रेस पार्टी से जिसका विषय है ब्रह्मांड। पार्टी में कोई भी बच्चा ब्रह्मांड की कोई भी चीज बन कर आ सकता है जैसे डार्क मैटर, ब्लैक होल या रेड शिफ्ट। यह पार्टी ऐनी के पिता इरिक ने दी है। ऐनी जॉर्ज को फ्लोरिडा शहर बुलाती है और कहती है कि वह माता-पिता को अधिक कुछ ना बताए। बस यही कहे कि वह छुट्टियां बिताने फ्लोरिडा जा रहा है। वह दादी से मदद लेकर फ्लोरिडा चला जाता है। वहां जाकर जॉर्ज को पता लगता है कि इरिक ने मंगल ग्रह पर एक रोबोट भेजा है जो अचानक अब अपनी मर्जी से उल्टे-सीधे काम कर रहा है। न सही नमूने ले रहा है और न सही तस्वीरें भेज रहा है। तब कॉस्मोस सुपर कम्प्यूटर की मदद से जॉर्ज, ऐनी और एक नौ वर्ष का अति बुद्धिमान बालक एमिट अंतरिक्ष में जाते हैं। वे मंगल ग्रह में पहुंंच कर जरूरी काम निपटा कर ब्रह्मांड की यात्रा करते हैं। 
लूसी और स्टीफन हॉकिंग ने एक और किताब ‘जार्ज एंड द बिग बैंंग’ लिखी है। इसकी कहानी में जॉर्ज के प्रिय फ्रेडी सुअर को फार्म में रखने की तैयारी चल रही है। इस बात से जार्ज खुश नहीं है। वह और एनी उसके लिए बढि़या जगह ढूंढते हैं। जगह ढूंढना कठिन भी नहीं है क्योंकि सुपर कम्प्यूटर कॉस्मोस तो सब कुछ जानता है। वह उन्हें नई जगह के बारे में बताता है। कॉस्मोस उनसे खिड़की से बाहर देखने को कहता है और वे यह देख-सुन कर हैरान रह जाते हैं कि कुछ लोग लार्ज हैडरान कोलाइडर यानी एल एच सी को बम से उड़ा देने की बात कर रहे हैं। जॉर्ज और ऐनी यह अच्छी तरह जानते हैं कि एल एच सी से ही तो यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि ब्रह्मांड का जन्म कैसे हुआ? यह तो पृथ्वी पर भौतिक विज्ञान के इतिहास में एक महान प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन, जो लोग शड्यंत्र कर रहे हैं, वे मानते हैं कि इस प्रयोग से हमारी पृथ्वी नष्ट हो जाएगी। वे इस षड्यंत्र को बेकार करने की योजना बनाते हैं। इस बाल उपन्यास के जरिए ब्रह्मांड, बिग बैंग यानी महाविस्फोट और एल एच सी के साथ ही हिग्स-बोसान यानी तथाकथित गॉड पॉर्टिकल के बारे में बच्चों को बहुत सरल भाषा में समझाया गया है।
स्टीफन हॉकिंग एक महान सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी के रूप में तो विश्व भर में चर्चित हुए ही, गंभीर बीमारी के बावजूद अदम्य साहस के साथ जीने तथा कुछ कर दिखाने के जीवट का प्रतीक बने और लोकप्रिय विज्ञान लेखन में भी नए कीर्तिमान रच गए।   
 

एलियंस से सावधान!

सुप्रसिद्ध ब्रिटिश खगोल भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग ने कुछ समय पहले आगाह किया था कि हमें एलियन यानी परग्रही सभ्यताओं को अपना सुराग नहीं देना चाहिए। कारण यह है कि वे तकनीकी दृष्टि हमसे भी कहीं अधिक उन्नत सभ्यताएं हो सकती हैं और उनके कारण हमारा अस्तित्व संंकट में पड़ सकता है। उन एलियन सभ्यताओं के बुद्धिमान जीव इतने उन्नत हो सकते हैं कि मुलाकात होने पर उनके लिए हमारा महत्व नगण्य या, यों समझ लीजिए कि जो महत्व पहली बार संपर्क होने पर अमेरिका के मूल निवासियों के लिए कोलंबस का था, वही महत्व हमारे लिए एलियनों का होगा। और, आप जानते ही हैं, कोलंबस के कदम पड़ने के बाद वहां क्या कुछ हुआ। 
असल में स्टीफन हॉकिंग को तब एक लघु फिल्म ‘स्टीफन हाकिंग्स फेवरेट प्लेसेज’ यानी ‘स्टीफन हाकिंग की पसंदीदा जगहें’ में उनके काल्पनिक अंतरिक्षयान ‘एस एस हॉकिंग’ से विशाल ब्रह्मांड की पांच चुनिंदा जगहों पर ले जाया गया। उनमें से एक जगह थी ‘ग्लीसे ८३२ सी’ नामक बाह्य ग्रह। वह हमारी पृथ्वी से लगभग १६ प्रकाश वर्श दूर है। हॉकिंग ने अपने काल्पनिक यान में उस बहिर्ग्रह की परिक्रमा करते हुए कहा था कि ‘‘किसी दिन हमें ‘ग्लीसे ८३२सी’’ जैसे किसी ग्रह से कोई सिगनल मिल सकता है लेकिन हमें उसका जवाब देने से पहले सावधान हो जाना चाहिए। वे हमसे कहीं अधिक शक्तिशाली होंगे और उनके लिए हमारा मूल्य बैक्टीरिया से अधिक नहीं होगा।“ उन्होंने यह भी कहा था कि ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ रही है, उन्हें विश्वास होता जा रहा है कि ब्रह्मांड में हम अकेले नहीं हंै। 
इस विचार के बावजूद स्टीफन हॉकिंग ने दस-वर्षीय ‘द ब्रैकथ्रू लिसनिंग प्रोजेक्ट’ नामक एक महत्वाकांक्षी परियोजना को लांच किया था जिसके तहत शक्तिशाली दूरबीनों से हमारी पृथ्वी के लगभग दस लाख नजदीकी सितारों का जीवन के चिह्नों के लिए गहन अध्ययन किया जाएगा। इस परियोजना के लिए आर्थिक मदद रूस के अरबपति यूरी मिलनर ने दी। परियोजना में पृथ्वी के नजदीकी तारे ‘अल्फा सेंटोरी’ तक बिस्कुट के आकार के कई अंतरिक्षयान भेजे जाएंगे। ये अंतरिक्षयान अगर प्रकाश की मात्र बीस प्रतिशत गति से भी गए तो बीस वर्षों में अल्फा सेंटोरी तक पहुंच जाएंगे और वहां उसकी परिक्रमा करते हुए फोटो लेने के साथ-साथ अन्य जानकारी भी जुटाएंगे। 
फिर भी, हॉकिंग का अनुमान था कि आगामी बीस वर्षों में तो वैज्ञानिकों को बुद्धिमान जीवों का पता लगने से रहा। लेकिन हां, अंतरिक्ष में घूम रही केपलर दूरबीन ने अब तक ३ए००० से अधिक बहिर्ग्रहों का पता लगा लिया है। उसने जता दिया है कि हमारी अपनी आकाशगंगा में ही ऐसे अरबों ग्रह हो सकते हैं जिनमें जीवन का अस्तित्व हो सकता है। हॉकिंग का विचार था कि जितना ब्रह्मांड हम देख पा रहे हैं, उसी में हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी की तरह कम से कम १०० अरब मंदाकिनियां होंगी। इसका साफ मतलब है कि हम ब्रह्मांड में अकेले नहीं है। फिर भी हमें यही आशा करनी चाहिए कि बुद्धिमान एलियन हम तक न पहुंच पाएं क्योंकि उनसे मानव सभ्यता को भारी खतरा हो सकता है।  

किसने की ब्रह्मांड की रचना?

कुछ वर्ष पहले स्टीफन हॉकिंग के एक बयान से खलबली मच गई थी कि सृष्टि की रचना ईश्वर ने नहीं की बल्कि उसका निर्माण भौतिकी या प्रकृति के बुनियादी नियमों से हुआ है। इस विषय पर उन्होंने लियोनार्ड म्लोदिनोव के साथ ‘द ग्रैंड डिजायन’ पुस्तक लिखी है। इसमें उन्होंने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों का वैज्ञानिक विवेचन किया है। 
वे कहते हैं, ‘एम-थ्योरी’ ब्रह्मांड की उत्पत्ति की गुत्थी सुलझा सकती है। यह अपने आप में कोई अलग सिद्धांत नहीं है बल्कि अनेक सिद्धांतों का मिला-जुला रूप है। शायद कोई नहीं जानता कि यह ‘एम’ क्या है? हो सकता है, इसका मतलब है ‘मास्टर’ (स्वामी), ‘मिरेकल’ (चमत्कार) या ‘मिस्ट्री’ (रहस्य)। या हो सकता है ये तीनों ही हों। यह कण-भौतिकी का सिद्धांत है जिसमें ११ आयाम के ब्रह्मांड की व्याख्या की गई है। 
पुस्तक के अंतिम पैराग्राफ में कहा गया है कि ‘एम थ्योरी’ वह ‘यूनीफाइड’ यानी सर्वमान्य सिद्धांत है, आइंस्टाइन अपने जीवन के अंतिम तीस वर्षों में जिसे पाने की लगातार कोशिश करते रहे। मानव यानी हम, जो स्वयं प्रकृति के आधारभूत कणों के पुतले मात्र हैं, प्रकृति के उन नियमों को समझने के इतना करीब आ चुके हैं जिनसे स्वयं हम और हमारा ब्रह्मांड नियंत्रित होता है तो यही क्या कम बड़ी उपलब्धि है? लेकिन, असली चमत्कार तो शायद तर्क का वह अमूर्त चिंतन है जो आश्चर्यजनक विभिन्नताओं से भरे विशाल ब्रह्मांड की व्याख्या करने वाला एक अपूर्व सिद्धांत गढ़ दे। और, अगर इस सिद्धांत की प्रेक्षणों से भी पुष्टि हो जाए तो यह ३,००० वर्ष से भी पहले से की जा रही खोज का सफल परिणाम होगा। तब हमें ‘ग्रेंड डिजायन’ का पता लग जाएगा।
 
 
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