विज्ञान कथा


रॉबिन से पुनर्मिलन  

सुभाष चन्द्र लखेड़ा

अपने पाठकों को मैं यह बता दूँ कि कैलिफ़ोर्निया के फ्रेस्नो शहर में 2 अप्रैल 2014 के दिन शाम को मेरी मुलाकात सिग्नस तारामंडल में केप्लर-22 बी नामक ग्रह से आये एक पराग्रही रॉबिन से हुई थी। मेरा ऐसा मेरा अनुमान था और है कि वह केप्लर-22 बी नामक ग्रह से ही आया था। लेकिन रॉबिन ने सपाट शब्दों में अभी तक यह नहीं बताया है कि उसका ताल्लुक कौन से ग्रह से है। रॉबिन से मेरी दूसरी मुलाकात सिर्फ 18 दिन बाद फ्रेस्नो से 420 किलोमीटर दूर स्थित साउथ लेक टाहो के समीप स्थित ‘निक्की’ज  चाट कैफ़े’ में हुई लेकिन तब उसने बताया था कि मुझे फ्रेस्नो में रॉबिन -1 मिला था और वह  रॉबिन-2 है । उसने उस दौरान मुझे यह भी बताया था कि इस समय इस धरती पर एक साथ सौ रॉबिन आये हुए हैं और वे अलग-अलग जगह पर होते हुए भी एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। हम इस समय जो बात कर रहे हैं, उसे सभी रॉबिन सुन रहे हैं और वे सब हमें देख भी रहे हैं। मोटे तौर पर सभी रॉबिन एक दूसरे से तरंगों के माध्यम से निरंतर जुड़े रहते हैं। बहरहाल, उसका कहना था वह इस समय जल्दी में है। जब कभी फिर भेंट होगी तो वह मुझे सारी बातें विस्तार से समझाएगा। और हां, उस शाम उसने यह भी बताया था कि ‘वे सब रॉबिन कई सौ प्रकाश वर्ष दूर एक ग्रह से इस पृथ्वी पर आये हैं और आज रात वे सभी लौट जायेंगे।’

बहरहाल, आठ मई को हमें अपनी बेटी योगिता के साथ लॉस काबोस जाना था। परेशानी तब पैदा हुई जब योगिता को सात मई शाम को बुखार आया और फिर वह आठ मई सुबह तक सो न पाई। एक बार तो मन में आया कि लॉस काबोस जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया जाए लेकिन काफी सोच-विचार के बाद तय हुआ कि हमें मेक्सिको के इस भू-भाग में अवश्यमेव जाना चाहिए। वहां होटल आदि की सारी व्यवस्था हो चुकी थी और वहां न्यू जर्सी और नार्थ कैरोलिना से भी बच्चे पहुंच चुके थे। खैर, हम लॉस एंजेलिस से अमेरिकी एयरलाइन द्वारा 8 मई दोपहर बाद लॉस काबोस पहुंच गए थे। मेक्सिको देश के इस हिस्से या भू - भाग को धरती का आखरी हिस्सा क्यों कहा जाता है, यह आप उत्तरी अमेरिका महाद्वीप का नक्शा सामने रखकर समझ सकते हैं। दरअसल, लॉस काबोस के गोल्डन आर्क से अगर सीधे नाक की सीध में दक्षिण की तरफ निरंतर बढ़ते रहें तो दक्षिण ध्रुव से पहले कहीं कोई जमीन का टुकड़ा रास्ते में नहीं दिखेगा। एक और खास बात यह भी है कि मैक्सिको का यह हिस्सा जमीनी तौर पर अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य से जुड़ा है। कैलिफोर्निया के सान डिएगो नगर से लॉस काबोस की दूरी लगभग 800 मील है। खैर, लॉस  काबोस एक स्पैनिश शब्द है और इसका अर्थ हिंदी में कहें तो ‘अंतरीप’ है। तीन तरफ से सागर जल से घिरे निचले कैलिफोर्निया के इस दक्षिणी भाग लॉस काबोस में काबो सैन लूकस और सैन होज़े दैल काबो, ये दो नगर शामिल हैं। सत्रह हजार चार सौ वर्ग मील क्षेत्र में फैले इस क्षेत्र में प्रति वर्ग मील महज औसतन आठ आदमी रहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका से जुड़े होने के कारण यहां अमेरिकी प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखता है लेकिन यहां  के नागरिक अपने मीठे स्वभाव और आतिथ्य सत्कार के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।

खैर, ग्यारह मई को हमारे विवाह की चालीसवीं वर्षगांठ थी। उस दिन हम लोग सुबह नाश्ता करने के बाद काबो पल्मो बीच के लिए निकल पड़े।  लगभग सत्तर-अस्सी किलोमीटर यात्रा करने के बाद अब हमारा आगे का रास्ता कच्चा था। रास्ते में एक- दो जगह किसी से काबो पल्मो बीच के बारे में पूछा तो वे स्पैनिश में बोले और हम चाहते हुए भी उनसे अधिक बात न कर सके। तभी एक जगह कुछ मकानों का समूह दिखा। हमें लगा कि यहां पर खाना खाने की व्यवस्था जरूर होगी लेकिन निराशा हाथ लगी। वहां पर एक रेस्टोरेंट का बोर्ड तो लगा था लेकिन मालूम हुआ कि उसकी शुरूआत कुछ दिनों बाद होगी। इन मकानों के अंदर आम के पेड़ों पर लटके आम हमें ललचा तो रहे थे लेकिन परदेस का मामला था और भाषा की समस्या भी थी। हम वहां से फिर आगे चल पड़े। कुछ दूर जाने के बाद हमें यह तो ज्ञात हो गया कि अब हम सही दिशा में जा रहे हैं लेकिन भूख सता रही थी और पानी भी ख़त्म हो चुका था। तभी हमारी नजर दायीं तरफ मौजूद उस रेस्टोरेंट पर पड़ी जो उस समय हमें किसी पांच सितारे वाला होटल जैसा लगा। आनन-फानन में हम लोग उस जगह पहुंचे। उस रेस्टोरेंट में कुल तीन लोग मौजूद थे। एक प्रौढ़ और एक प्रौढ़ा और एक युवती। यह रेस्टोरेंट उन लोगों का था। बाद में पता चला कि वह युवती उन दोनों की बेटी थी। प्रौढ़ व्यक्ति ने मुस्कराते हुए हमारा स्वागत किया। वहां मेक्सिकन शाकाहारी भोजन ऑर्डर मिलते ही तैयार करने की व्यवस्था थी। विभिन्न तरह के शीतल-गरम पेय भी उपलब्ध थे। साथ ही उस वीराने में होने के बावजूद सभी चीजों के दाम भी वाजिब थे। विदेशी पर्यटकों को लूटने की कोई भावना मुझे वहां या फिर लॉस काबोस में कहीं भी नहीं दिखी।

वहां पर पेट पूजा करने के बाद मन को तसल्ली मिली कि अब शाम तक कोई चिंता नहीं। उस रेस्टोरेंट के मालिक ने हमें बताया कि वहां से यही कोई दो मील के बाद काबो पल्मो बीच है। हम सभी गाड़ी में सवार हुए और उस कच्चे रास्ते पर अपनी मंजिल की तरफ चल पड़े। लगभग कोई पांच मिनट बाद हम उस बीच के सामने पहुंच गए जिसके लिए हम इतनी दूर चलकर आये थे। इस बीच में प्रवेश करने के लिए शुल्क देना पड़ता है, हमें यह बात यहीं आकर मालूम हुई। तीस पीसो प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क था लेकिन उसी टिकट में 3 $ जैसा भी कुछ छपा हुआ था। हमने छह टिकट लिए और उस टिकट बेचने वाले को 20 अमेरिकी डॉलर दिए। जब आप लॉस काबोस में किसी को अमेरिकी डॉलर देते हैं और उसे आपको शेष राशि वापस करनी होती है तो वह आपको अमेरिकी या मेक्सिकन मुद्रा, दोनों में से कोई भी दे सकता है। खैर, हमारा ख्याल था कि वह व्यक्ति हमें 2 अमेरिकी डॉलर वापस लौटाएगा लेकिन उसने हमें 60 पीसो लौटाए। नवोदित को लगा कि वह हमें कुछ अधिक राशि लौटा रहा था। जब हमने उस टिकट बेचने वाले को अंग्रेजी में यह बताने की कोशिश की तो पता चला कि उसे केवल स्पैनिश आती है। खैर, उसने सोचा कि हम शायद उससे हिसाब समझना चाहते है और वह एक कागज पर कुछ गुणा-भाग जैसा कुछ करके हमें समझाने लगा। बहरहाल, बहुत देर बाद हमें समझ आया कि 30 पीसो ढाई डॉलर के बराबर होने की वजह से हमारी टिकटों की कुल कीमत 15 डॉलर थी और आजकल पीसो और डॉलर की विनिमय दर में 12 और 1 का अनुपात था, इसलिए उसने हमें 60 पीसो वापस किये थे। इस बीच पर धूप से बचने के लिए छतरी खरीदने की जरूरत नहीं थी क्योंकि यहां नारियल के पत्तों से तैयार की गई स्थाई रूप से स्थापित बड़ी-बड़ी छतरियां मौजूद थीं। इस बीच पर बच्चे इसलिए आए थे क्योंकि यह बीच स्नॉर्कलिंग ( मुंह में लगाने की लंबी नली जो तैरते वक्त पानी के नीचे सांस लेने में मदद करे ) के लिए सही माना जाता है। स्नॉर्कलिंग करने के लिए दो जोड़ी उपकरण नवोदित और संयोगिता हमेशा अपने साथ लेकर चलते हैं। सभी बच्चे और पत्नी इस तरीके से जल के अंदर तरह-तरह की मछलियों को देखने का लुत्फ़ उठा रहे थे। मैं किनारे पर एक बड़ी सी छतरी के नीचे लेटकर वहीं से अपने तथा दूसरे लोगों को जल क्रीड़ाएं करते हुए देख रहा था। तभी मैंने देखा कि रॉबिन सामने से चला आ रहा है। मुझे याद आया कि रॉबिन तो अपने सौ हमशक्ल - हम उम्र साथियों के साथ वापस अपने ग्रह पर जाने की बात कर रहा था फिर वह यहां इस बीच पर क्या कर रहा है ? तभी रॉबिन पास आकर बोला, ‘हम सब वापस चले गए थे लेकिन मुझे तुम्हारी याद आयी और मैं चला आया।’

‘मुझे यकीन नहीं आ रहा है कि तुम्हारा ग्रह हमारे से सैकड़ों प्रकाश वर्ष दूर है लेकिन तुम वहां से जब मर्जी हो चले आते हो।’ मैंने सवाल किया।

‘बेहतर है तुम अभी इस झमेले में मत पड़ो।  इस समय तो मैं तुम्हें यह समझाने आया हूं कि तुम अपनी इस धरती माँ को अपने द्वारा किये जा रहे अनियंत्रित दोहन से कैसे बचा सकते हो ?’ वह गंभीर स्वर में बोला।

‘ठीक है लेकिन मुझे यह बताओ कि तुम रॉबिन -1 हो या रॉबिन - 2 हो ?’ मैंने कहा।

‘मैंने तुम्हें बताया था न कि उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम हमारे में से जिस किसी से भी मिलोगे, समझ लो तुम एक साथ हम सभी से मिल रहे हो। वैसे मैं रॉबिन-2 हूँ यानी वही रोबिन जो तुम्हें लेक टाहो में मिला था।’ वह हँसते हुए बोला।

‘तुम मुझे कुछ समझाने की बात कर रहे थे ?’ मैंने विषय बदलते हुए कहा।

‘पृथ्वी निवासियों को आने वाले वर्षों में जल प्रदूषण के कारण बहुत से संकटों का सामना करना पड़ सकता है। आज तो मैं सिर्फ यह बताने आया हूं कि अभी से सही कदम उठाकर पृथ्वी निवासी अपने को इस भयानक संकट से बचा सकते हैं।’ वह मुस्कराते हुए बोला।

‘वह कैसे?’ मैंने पूछा।

‘सर्वप्रथम, तुम्हें अपने जल स्रोतों, पोखरों, तालाबों, झीलों और नदियों को प्रदूषण से बचाना होगा। तुम्हारे देश भारत को ही लो। वहां लोग अपने सभी जल स्रोतों को तरह - तरह के दकियानूसी विचारों के कारण निरंतर प्रदूषित करते रहते हैं। कुछ महीने पहले मैंने गंगा नदी का जायजा लिया था। यूं तो इस नदी को हिन्दुस्तानी लोग पाप निवारिणी और मोक्षदायिनी मानते हैं लेकिन वे अपने कर्मों से इसे गन्दा करने में जुटे रहते हैं। अगर लोग गंगा नदी को सचमुच पवित्र मानते हैं तो उन्हें शपथ लेनी होगी कि चाहे कुछ भी हो, गंगा के जल को स्वच्छ बनाए रखेंगे। और गंगा ही क्यों, दुनिया में जितनी भी नदियां हैं, सभी पृथ्वीवासियों को  उनके जल को स्वच्छ बनाये रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने होंगे। तालाबों और झीलों पर भी नजर बनाए रखनी होगी ताकि उनके जल को भी तुम्हारे कामों से कोई नुकसान न हो।’ रॉबिन मुझे समझाते हुए बोला।

‘हम गंगा को स्वच्छ रखने के लिए तो प्रयत्न कर रहे हैं।’ मैंने कहा।

‘प्रयत्न नहीं कर रहे हो ; तुम लोग सिर्फ दिखावा करते आ रहे हो और जेबें भरते आये हो। मैंने लोगों को उसमें अधजली लाशें बहाते देखा है। पूजा-पाठ के नाम पर तुम उसके जल में कितना जहर मिलाते हो, स्वयं तुम भी नहीं जानते हो। फैक्ट्रियों से तो उसमें जहरीले रसायन पहुंचते ही हैं, तुम अपनी साफ़-सफाई और कपड़ों की धुलाई के लिए भी जो तरह-तरह के संश्लेषित रसायन इस्तेमाल करते हो, वे भी अंतोगत्वा गंगा या फिर दुनिया की तमाम दूसरी नदियों, तालाबों या झीलों के जल को दूषित करते हैं। मल-मूत्र का विसर्जन तो एक आम बात है।’ रॉबिन खीजते हुए बोला।

‘लेकिन तुम्हारा हमारे जल स्रोतों, तालाबों, झीलों और नदियों की समस्या से क्या सरोकार है?’ मैंने रॉबिन से पूछा।

‘बहुत गहरा सरोकार है। दूषित जल पीने से तुम्हारा विवेक नष्ट हो रहा है। इस वजह से तुम अपने लाभ-हानि का गणित समझने में असमर्थ होते जा रहे हो। फलस्वरूप, तुम पृथ्वी को छोड़कर अन्य ग्रहों को तलाश रहे हो। ऐसा भी हो सकता है कि तुम्हारा यह लोभ देर-सबेर इस विशाल ब्रह्मांड में मौजूद अन्य ग्रहों पर मौजूद जीवों के लिए खतरा बन जाए। इसलिए हमने निर्णय लिया है कि तुम्हें सही रास्ता दिखाने की कोशिश की जाए।’ रॉबिन ने मुझे प्यार से समझाया।

तभी रॉबिन की नजर मेरी पत्नी और बच्चों पर पड़ी जो ‘सी ऑफ़ कोर्टेज़’ की लहरों से क्रीड़ा करने के बाद अब मेरी तरफ आ रहे थे। उन्हें आता देख रॉबिन बोला, ‘मेरी आज कही बातों पर गहराई से विचार करो और सोचो कि तुम इस बाबत क्या कर सकते हो ? मैं जा रहा हूँ। देखता हूँ मुझे तुमसे से अगली मुलाकात का आदेश कब मिलता है?’ फिर स्पैनिश में ‘आदिओस’ यानी अलविदा कहकर वह अगले ही क्षण गायब हो गया था।    

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