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सबसे छोटा प्रोसेसर लाएगा इंटेल! 

कम्प्यूटर तथा मोबाइल फोन के प्रोसेसर बनाने वाली कंपनी इंटेल कोर्पेरेशन सबसे छोटा प्रोसेसर लेकर आने वाली है। कंपनी की तरफ से ये अब तक का सबसे छोटा प्रोसेसर है जो जल्द ही बाजार में उतार दिया जाएगा। कंपनी अपने इस नये तथा सबसे छोटे प्रोसेसर को 'क्वार्क` के नाम से ही लेकर आ रही है। बताया गया है कि क्वार्क फेमिली का यह प्रोसेसर बहुत ही तेज होगा, लेकिन इसका उपयोग कम्प्यूटर या स्मार्टफोन में नहीं किया जाएगा। इंटेल के मुताबिक क्वार्क फेमिली के इस माइक्रो प्रोसेसर को बायोमेडिकल डिवाइसेज में दिया जाएगा जिसके तहत बेहतर उपचार तथा डायग। पोस्टिक के लिए उपयोग में लिया जाएगा। गौरतलब है कि इंटेल ने हाल ही में अपनी 22 नैनोमीटर तकनीक पर आधारित तीन नए अल्ट्रा मल्टीकोर प्रोसेसर लांच किए है जो टेबलेट्स, मोबाइल फोन्स तथा लेपटॉप्स में काम में लिया जाता है। कंपनी का कहना है, कि अब वह जल्द ही एक और नया प्रोसेसर 'ब्रोडवेल` लाएगी जो 14 नैनोमीटर तकनीक पर आधारित होगा। 

  बच्चों के लिए बना है ये टेबलेट पीसी 

विशेषतौर पर बच्चों के लिए एक टेबलेट पीसी लांच किया गया है जो बहुत ही आकर्षक तथा मजेदार होने के साथ-साथ काफी उपयोगी भी है। इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली कंपनी बिनाटोन ने 'एप्प स्टार` नाम से यह टेबलेट पीसी लांच किया है। भारतीय बाजार में एप्प स्टार इस कंपनी का पहला टेबलेट पीसी है जो विशेष तौर पर 4 वर्ष की उम्र से ऊपर के बच्चों के लिए बना है तथा ये एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलता है। कंपनी ने इसकी कीमत 9,999 रूपए रखी है। एप्प स्टार टेबलेट पीसी की सबसे खास बात ये है कि इसें किड्स तथा पेरेंट मोड पर ऑपरेट किया जा सकता है जिन्हें कंट्रोल पेनल में जाकर आसानी से स्विच किया जा सकता है। इसके तहत इसमें सिक्योर्ड पासवर्ड भी दिया गया है जिसके तहत पेरेंट्स बच्चों द्वारा इस टेबलेट में किए जा रहे हर कार्य पर नजर रख सकते हैं। इनके अलावा इसमें मजेदार गेम, एजुकेशनल एप्पस, आर्ट स्टूडियोज, ई&बुक, ऑडियो बुक्स, म्यूजिक प्लेयर, वीडियो

रिकॉर्डर तथा कैमरा जैसे फीचर्स पहले से ही दिए गए हैं। गौरतलब है कि बिनाटोन पहले से विशेषतौर पर बच्चों के लिए बनाए गए टेबलेट पीसी यूके तथा यूरोपीय देशों में बेच रही है। 

स्मार्ट कार्ड के इस्तेमाल से बचाए जा सकते हैं 20,000 करोड़

स्मार्ट कार्ड प्रौद्योगिकी से भारत को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के छद्म लाभार्थियों को समाप्त करने में मदद मिल सकती है और इससे देश को सालाना 20,000 करोड़ रुपए बचाने में मदद मिल सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी कहा कि इन छद्म लाभार्थियों के कारण पीडीएस में भारी गड़बड़ियां होती हैं। कैबिनेट सचिवालय में अतिरिक्त सचिव अनिल स्वरूप ने स्मार्ट कार्ड आधारित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का हवाला देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के कारण पीडीएस में पारदर्शिता आ सकती है और देश को प्रतिवर्ष करीब 20,000 करोड़ रुपए की बचत करने में मदद मिल सकती है। पीडीएस प्रणाली संयुक्त रूप से केंौ व राज्य सरकारों द्वारा चलाई जाती है।

                                           ये तकनीक है उनके लिए जो देख नहीं सकते

मोबाइल में फिजिकल कीबोर्ड को तो आपने देखा होगा। किसी भी मोबाइल के की&बोर्ड के 5 नंबर बटन पर एक खास चिन्ह होता है। यह चिन्ह खासकर उन लोगों के लिए भी होता है जिनकी निगाह कमजोर है या देख नहीं सकते। कम्प्यूटर साइंस की एक टीम ने कुछ इसी मकसद से नेत्रहीन लोगों के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इसकी मदद से ऐसे लोग योगा भी कर सकते हैं। यह सॉफ्टवेयर योगा गुरु के अलग-अलग आसन को ट्रैक करता रहता है और आवाज के साथ नेत्रहीन लोगों को दिषा-निर्देष देता रहता है। इस सॉफ्टवेयर का नाम 'आईफ्री योगा` दिया गया है। ये लगभग माइक्रोसॉफ्ट के किनेट सॉफ्टवेयर की तरह काम करता है। यह बॉडी के हर एक मूवमेंट को ट्रेक करता है और रियल टाइम में अपना फीडबैक देता है। किनेट सॉफ्टवेयर पर कई गेम तैयार किए गए हैं।

                     इमारतों को रीसाइकिल करेगा स्टूडेंट का बनाया रोबोट 

स्वीडन की यूमिआ इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के छात्र ओमर हैसिओमेराग्लू ने एक खास किस्म का रोबोट तैयार किया है। इस रोबोट को नाम दिया है ईआरओ। यह किसी पुरानी इमारत को इस तरह से तोड़ता है कि उसके कंक्रीट के ब्लॉक को रीसाइकिल करके नई इमारत में इस्तेमाल किया जा सकता है। ईआरओ इमारत को तोड़ने के लिए हाई पावर्ड वॉटर जेट्स यानी पानी की तेज धार का प्रयोग करता है जो कंक्रीट को बारीकी के साथ तोड़ देती है। सीमेंट और पानी को मषीन वापस खींच लेती है और उन्हें अलग कर देती है। गंदे पानी को सिस्टम में फिर से रीसाइकिल कर लिया जाता है और उसे बारःबार उपयोग में लाया जाता है। इससे पानी की बर्बादी भी नहीं होती और धूल भी नहीं उड़ती। साफ तरीके से कटे हुए कंक्रीट के ब्लॉक को पैक करके मिलों में दोबारा प्रयोग करने के लिए भेज दिया जाता है। रोबोट काम षुरू करने से पहले इमारत को स्कैन करके उसमें लगे ईंट, सीमेंट और सरिये की जगह का पता लगाता है। हालांकि यह रोबोट अभी कॉन्सेप्ट फेज में है। मगर, ओमर को उम्मीद है कि किसी इमारत को तोड़ने की तुलना में यह तकनीक बेहतर है। इससे इमारत से निकलने वाली कंक्रीट को दूसरी जगह इमारत बनाने में इस्तेमाल किया जा सकेगा।           

संकलन : विनीता, रवि, मनीष

वीडियो के शौकीन बढ़े : पिछले एक साल में ब्लॉगिंग के शौकीन में 48 फीसदी का इजाफा हुआ है जिसके बाद ब्लॉगिंग वेबसाइटों पर आने वाले लोगों की कुल संख्या करीब तीन करोड़ 60 लाख हो गई है। इसमें से 26 प्रतिशत लोग ब्लॉगिंग साइटों पर स्मार्टफोन और टैबलेट के जरिए आते हैं। ऑनलाइन वीडियो के क्षेत्र में भारत एक तेजी से उभरता हुआ देश माना जाता है। कॉमस्कोर की रिपोर्ट के अनुसार बीते एक साल में करीब पाँच करोड़ 40 लाख लोगों ने ऑनलाइन वीडियो देखे, जो पहले के मुकाबले 27 प्रतिशत अधिक है।