विज्ञान


विगत वर्ष में अंतरिक्ष विज्ञान की उपलब्धियाँ


कालीशंकर

 

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन ‘अल्फा‘ के लिए उड़ानें

27 दिसम्बर 2014 तक ‘अल्फा’ स्टेशन की अन्तरिक्ष की कक्षा में 5881 दिन की अवधि पूरा हो चुकी थी तथा इस तिथि तक इस स्टेशन में 5168 दिन तक मानव उपस्थिति बनी रही। 27 दिसम्बर तक स्टेशन ने पृथ्वी की 91924 परिक्रमाएँ पूरी कर ली थीं। वर्ष 2014 में सोयुज अन्तरिक्ष यानों की चार उड़ानें सम्पन्न हुईं जिनके द्वारा 12 अन्तरिक्ष यात्री अल्फा स्टेशन में गये जिनमें एक महिला थी। ये महिला थी योरपीय अन्तरिक्ष संस्था की महिला अन्तरिक्ष यात्री सामन्था क्रिस्टोफोरेटी। ये इटली की प्रथम अन्तरिक्ष यात्री हैं। ये इटली की वायुसेना की पायलट एवं इंजीनियर हैं। वर्तमान में ‘अल्फा’ अन्तरिक्ष स्टेशन में 42 वाँ स्थायी अन्तरिक्ष यात्री दल मौजूद है जिसमें कुल 6 अन्तरिक्ष यात्री हैं तथा इसके कमान्डर हैं नासा के अन्तरिक्ष यात्री बैरी ई विलमोर।
वर्ष 2014 में अल्फा स्टेशन के लिए 10 मानवरहित उड़ानें सम्पन्न हुईं जिनमें 4 प्रोग्रेस मालवाहक अन्तरिक्ष यानों की उड़ानें थी जिनके द्वारा खाद्य और तकनीकी सामग्री अल्फा स्टेशन में पहुँचाई गई। इसी वर्ष अल्फा स्टेशन के लिए 3 उड़ानें साइग्नस अन्तरिक्ष यानों की हुई (क्रमशः 13 जुलाई एवं 28 अक्टूबर और 9 फरवरी 2014 को)। साइग्नस अन्तरिक्ष यान की तीसरी उड़ान’ साइग्नस सी आर एस आर्ब-3’ असफल रही और अन्तरिक्ष की कक्षा तक नहीं पहुँच सकी। 9 जनवरी एवं 13 जुलाई को सम्पन्न साइग्नस उड़ानों के द्वारा 2754 कि.ग्रा. की आपूर्ति सामग्री अल्फा स्टेशन में पहुँचाई गई। डैªगन अन्तरिक्ष यानों की दो उड़ानें अल्फा स्टेशन के किए 18 अप्रैल 21 सितम्बर को सम्पन्न हुई । 29 जुलाई 2014 को योरपीय अन्तरिक्ष संस्था ईसा के अन्तरिक्ष यान ए.टी.वी.-ज्योर्जेज लेमैट्रे की उड़ान सम्पन्न हुई और इसके द्वारा 6555 कि.ग्रा. की आपूर्ति अल्फा स्टेशन पहुँचाई गई।

भारत की अन्तरिक्ष विज्ञान क्षेत्र में प्रगति        

अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियाँ निम्न हैं:

  • 5 जनवरी 2014 को भारत के जीएसएलवी राकेट की जीएसएलवी-डी 5 उड़ान के द्वारा जी सैट-14 संचार उपग्रह का प्रमोचन किया गया। यह भारत का 23 वाँ भू स्थिर उपग्रह है। इस उपग्रह में 6 विस्तृत सी बैन्ड ट्रान्सपान्डर है। इसके द्वारा कुछ नई तकनीकों की जाँच की गई। अन्तरिक्ष में इसकी लोकेशन 74 डिग्री पूर्व देशान्तर तथा इसका जीवन काल 12 वर्ष है।
  • 4 अप्रैल 2014 को पी एस एल वी-सी 24 उड़ान के द्वारा भारत के नेविगेशन उपग्रह आईआरएनएसएस-1 बी का प्रमोचन किया गया। नेविगेशन तंत्र का यह द्वितीय उपग्रह है।
  • 30 जून 2014 को पी एस एल वी की उड़ान के द्वारा 5 विदेशी उपग्रहों-स्पाट-7, एन एल एस-7.1, एनएलएस-7.2, आई सैट एवं वेलोक्स-1 का प्रमोचन किया गया। पाँचों विदेशी उपग्रह सफलतापूर्वक अपनी अपनी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किये गये।
  • भारत का मंगलयान मिशन 5 नवम्बर 2013 को पीएसएलवी राकेट के द्वारा प्रमोचित किया गया था। 24 सितम्बर 2014 को सार्वत्रिक समय 02रू00 बजे मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर गया। मंगलयान को मार्स आरबिटर मिशन (मॉम) भी कहते हैं। इस मिशन को मंगल ग्रह के चारों  ओर अत्यधिक दीर्घ वृत्तीय कक्षा में स्थापित किया गया।
  • 16 अक्टूबर 2014 को भारत के तीसरे नेविगेशन उपग्रह आई आर एन एस एस-1 सी का प्रमोचन किया गया। भारत के नेविगेशन तंत्र में कुल 7 उपग्रह होंगे। इस उपग्रह का प्रमोचन भी पीएसएलवी के द्वारा किया गया।
  • 7 दिसम्बर 2014 को भारत के संचार उपग्रह जी सैट-16 का प्रमोचन फ्रेंच गुएना से एरियन-5 राकेट के द्वारा किया गया। इसमें 12 कू बैन्ड, 24 सी बैन्ड तथा 12 ऊपरी विस्तृत सी बैन्ड ट्रान्सपान्डर हैं। इसे अन्तरिक्ष में 55 डिग्री पूर्व देशान्तर पर जी सैट-8, आईआरएनएसएस-1ए और 1बी उपग्रहों के साथ स्थापित किया गया। इस संचार उपग्रह का जीवन काल 12 वर्ष है।
  • जीएसएलवी मार्क प्प्प् राकेट की प्रथम उड़ान 18 दिसम्बर 2014 को सम्पन्न हुई। यह एक उपकक्षीय उड़ान थी जिसके द्वारा केयर (अन्तरिक्ष यात्री वायुमंडलीय पुनः प्रवेश परीक्षण) अन्तरिक्ष यात्री माड्यूल का प्रमोचन किया गया। प्रमोचन राकेट ने ’केयर’ माड्यूल को 126 कि.मी. की ऊँचाई पर पहुँचा दिया। प्रमोचन के 20 मिनट बाद केयर माड्यूल बंगाल की खाड़ी में स्प्लैश डाउन किया। इस मिशन का प्रमुख उद्देश्य भारत के भावी मानवयुक्त अन्तरिक्ष उड़ान से सम्बन्धित था।

ओरियन अन्तरिक्षयान की प्रथम मानव रहित जाँच उड़ान

स्पेस शटल के रिटायरमेन्ट के बाद अमरीकी अन्तरिक्ष संस्था नासा ने अन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष में भेजने के लिए एक नये अन्तरिक्ष यान ओरियन पर कार्य करना प्रारंभ किया है। इसकी प्रथम मानवरहित जाँच उड़ान 5 दिसम्बर 2014 को केप केनेवेरल से डेल्टा प्ट हेवी राकेट के द्वारा सम्पन्न हुई। इस उड़ान की अवधि 4 घन्टे 24 मिनट की थी तथा ओरियन अन्तरिक्ष यान ने पृथ्वी की दो परिक्रमाएँ करके प्रशान्त महासागर में पैराशूट के माध्यम से लैन्ड किया। ओरियन अन्तरिक्ष यान ने पृथ्वी से 5800 कि.मी. की दूरी से पृथ्वी की परिक्रमा की। भविष्य में ओरियन अन्तरिक्ष के द्वारा 4 अन्तरिक्ष यात्री अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन, क्षुद्र ग्रहों तथा मंगल ग्रह तक जा सकेंगे। ओरियन अन्तरिक्ष यान की इस प्रथम जाँच उड़ान का नाम था ‘अन्वेषण उड़ान जाँच 1 (ई.एफ.टी.-1)।

  • 27 सितम्बर 2007 को नासा ने एक अन्तरिक्ष यान डॉन का प्रमोचन किया था जिसका प्रमुख उददेश्य क्षुद्र ग्रह पेटी के दो बड़े पिन्डों- प्रोटो ग्रह वेस्टा और ड्वार्फ ग्रह सेरेस का अध्ययन करना था। अपने प्रमोचन की 7वीं वर्ष गाँठ पर यह ड्वार्फ ग्रह सेरेस के समीप पहुँच गया है तथा मार्च से अप्रैल 2015 के बीच यह सेरेस के समीप पहुँच जायेगा। यद्यपि डान की 7 वर्ष की यात्रा के दौरान हमारी पृथ्वी ने सूर्य के 7 चक्कर लगाये लेकिन डान मिशन की यात्रा की तालिका काफी परिवर्तनीय रही।
  • 23 अक्टूबर 2014 को चीन ने लाँग मार्च प्रमोचन राकेट के द्वारा एक प्रायोगिक सैम्पुल रिटर्न मिशन चेन्जे 5 टी 1 प्रमोचित किया। यह एक मानव रहित चन्द्र मिशन था जिस पर वायुमंडलीय प्रविष्ट परीक्षण किये गये। इस मिशन से प्राप्त परिणामों का प्रयोग सैम्पुल रिटर्न चन्द्र मिशन चेन्जे 5 मिशन के लिए किया  जायेगा जिसका प्रमोचन वर्ष 2017 के लिए प्रस्तावित है।

विश्व के कुछ प्रमुख उपग्रहों का प्रमोचन

  • थाईकाम-6 उपग्रह: 6 जनवरी 2014 को थाईलैन्ड के संचार उपग्रह थाईकाम-6 का प्रमोचन किया गया। इसमे 24 सी बैन्ड और 9 कू-बैन्ड ट्रान्सपान्डर है। इसका प्रचालन जीवन काल 15 वर्ष है।
  • टीडीआरएस 12 उपग्रह: 24 फरवरी 2014 को नासा के अनुवर्तन एवं डाटा रिले उपग्रह ’टीडीआरएस 12’ का प्रमोचन किया गया।
  • टर्कसैट 4ए उपग्रह: 14 फरवरी 2014 को टर्की के संचार उपग्रह टर्कसैट 4ए का प्रमोचन किया गया। इसमें कू, का और सी बैन्ड ट्रान्सफर लगाये गये हैं तथा इसका अनुमानित जीवन काल 15 वर्ष है।
  • यूटलसैट 3 बी उपग्रहः 26 मई 2014 को यूटलसैट संस्था के ’यूटलसैट 3 बी’ उपग्रह का प्रमोचन किया गया। 5967 कि.ग्रा. के इस संचार उपग्रह का जीवन काल 15 वर्ष है। इसका प्रमोचन जेनिट 3 एस.एल. राकेट के द्वारा किया गया।
  • कक्षीय कार्बन प्रेक्षणशालाः 2 जुलाई 2014 को नासा की कार्बन प्रेक्षणशाला ’ओसीओ-2’ का प्रमोचन किया गया। यह प्रेक्षणशाला वायुमंडल की कार्बन डाई आक्साईड से सम्बधित विभिन्न आंकड़े एवं प्रेक्षण परिणाम बताएगी। मौसमी परिवर्तन में कार्बनडाई आक्साईड की एक अहम भूमिका होेती है।
  • एशियासैट-8 उपग्रहः 5 अगस्त 2014 को एशियासैट 8 संचार उपग्रह का प्रमोचन किया गया। इसमें 24 कू बैन्ड टाªन्सपान्डर और एक ’का बैन्ड’ बीकन ट्रान्सपान्डर है। 4335 कि.ग्रा. के इस संचार उपग्रह का जीवन काल 15 वर्ष है।
  • वर्ल्ड व्यू-3 उपग्रहः यह भू प्रेक्षण उपग्रह है तथा इसका प्रमोचन 13 अगस्त 2014 को किया गया। डिजिटल ग्लोब कम्पनी इसकी आपरेटर है।
  • इन्टलसैट-30 संचार उपग्रहः इस संचार उपग्रह का प्रमोचन 16 अक्टूबर 2014 को एरियन राकेट के द्वारा किया गया। इस का प्रयोग लैटिन अमरीकी देशों में डीटीएच सेवाओं के लिए किया जायेगा।
  • हायाबुसा-2 मिशनः हायाबुसा 2 क्षुद्र ग्रह सैम्पुल रिटर्न मिशन है तथा यह एक जापानी मिशन है। इस का प्रमोचन 3 दिसम्बर 2014 को किया गया । पहले इस मिशन का प्रमोचन 30 नवम्बर 2014 को किया जाना था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से बाद में यह प्रमोचन 3 दिसम्बर 2014 को किया गया।

वर्ष 2014 की कुछ घटनाएँ, खोजें और अनुसंधान

7 जनवरी 2014 को हब्बल अन्तरिक्ष दूरबीन ने एक आकाश गंगा समूह ‘अबेल 2744श् का प्रतिविम्बन किया। 16 जनवरी 2014 को चीन के यूटू चन्द्र बग्घी ने चन्द्र मृदा के परीक्षण का प्रथम चरण पूरा किया। 20 जनवरी को योरपीय अन्तरिक्ष संस्था का रोसेट्टा अन्तरिक्षयान पुच्छलतारा चुरिमोव गेरासिमेंको के मानीटरन के लिए अपनी सुप्तावस्था (हाइबरनेशन) से उठा। 12 नवम्बर को रोसेट्टा अन्तरिक्षयान का फिले लैन्डर पुच्छलतारा चुरिमोव गेरासिमेंको पर उतरा। 22 जनवरी को योरपीय अन्तरिक्ष संस्था के वैज्ञानिकों ने ड्वार्क ग्रह सेरेस में जल वाष्प के संसूचन की पुष्टि की। यह संसू्चन हर्शेल अन्तरिक्ष प्रेक्षणशाला के द्वारा किया गया। 12 फरवरी को सौर तंत्र के सबसे बडे़ चन्द्रमा गैनीमीड का प्रथम ग्लोबल भूगर्भीय मानचित्रण किया गया। 18 फरवरी को खगोल शस्त्रियों ने अपनी रिपोर्ट में बतलाया कि क्षुद्र ग्रह ‘2000ई.एम. 26’ और खतरनाक क्षुद्र ग्रह ‘पीएचए’ पृथ्वी के समीप से बिना कोई क्षति पहुँचाए गुजर गये।
26 फरवरी को नासा ने केप्लर मिशन के द्वारा एक अतिरिक्त सौर ग्रह ‘715 एक्सोप्लैनेट’ के पता करने की पुष्टि की। नासा के वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट किया कि पृथ्वी पर पाई गई यह अब तक की सबसे बड़ी उल्का ‘यामाटो 000593’ मंगल ग्रह से आई तथा 27 फरवरी को यह पृथ्वी पर गिरी। इस उल्का के दृव्य में कार्बन की बहुतायत है जिसके विषय में अनुमान है कि यह बहुतायत जैविक गतिविधि से पैदा हुई होगी। 12 मार्च को चिली की वेरी लार्ज टेलीस्कोप ने सबसे बड़ा येलो स्टार का पता लगाया जिसका व्यास सूर्य के व्यास का 1300 गुना है। इसका नाम है ‘एचआर 5171।श्। 
10 अप्रैल को नासा के वैज्ञानिकोें ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अब हब्बल अन्तरिक्ष दूरबीन आकाशीय (स्पैटियल)  क्रमवीक्षण से 10ए000 प्रकाश वर्ष की दूरी तक का मापन कर सकती है।

वर्ष 2014 के कुछ अन्तरिक्ष आंकड़े

वर्ष 2014 में 7 अन्तरिक्ष संस्थाओं ने अन्तरिक्ष में प्रमोचन किये। प्रमोचनों की कुल संख्या 91 थी जिनमें 4 असफल रहे। इस वर्ष 16 प्रकार के प्रमोचन राकेटों से प्रमोचन किये गये।

 

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